एमिटी सेंटर फॉर संस्कृत एंड इण्डिक स्टडीज, एमिटी विश्वविद्यालय हरियाणा द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 9 मई 2023 को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सगोष्ठी का विषय था सोशल कम्युनिकेशन। इस संगोष्ठी में पत्रकारिता जगत के कई गणमान्य और वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित रहे एवं एमिटी विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि ने भी उपस्थित रहकर सेमिनार को सफल बनाया।
ऑनलाइन पटल पर आयोजित इस नेशनल सेमिनार में संस्कृत, पत्रकारिता और रंगमंच के प्रतिष्ठित विद्वान एवं विश्व संस्कृत पत्रकारिता परिषद् दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बलदेवानन्द सागर, दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस महाविद्यालय में संस्कृत विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत के प्रकांड विद्वान एवं संस्कृत पत्रकारिता जगत के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. पंकज कुमार मिश्र, संसद टीवी में वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्कृत विद्वान डॉ. प्रसून कुमार मिश्र, एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बहुचर्चित भाषाविद् प्रोफेसर व वर्तमान में एमिटी यूनिवर्सिटी हरियाणा में “लिबरल आर्ट्स के निदेशक” प्रो. संजय कुमार झा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त टीवी 9 में असिस्टेंट न्यूज एडिटर मधुकर मिश्र ने भी नारद जयंती एवं समाज में पत्रकार की सकारात्मक भूमिका को लेकर अपने विचार पटल पर रखे।
सेमिनार के प्रारम्भ में गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए प्रो. संजय कुमार झा ने पत्रकार की भूमिका बताते हुए कहा कि पत्रकार को निश्पक्ष होकर समाज के प्रति अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। प्राचीन भारतीय परंपरा और नारद मुनि के व्यक्तित्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि नारद मुनि का कार्य केवल समाज में संदेश का सम्प्रेषण नहीं अपितु वे अपने संदेश के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी लाने का कार्य करते थे।
प्रो. झा ने कहा कि आज पत्रकारिता में समाचार ही नहीं सदाचार की भी आवश्यकता है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. बलदेवानंद सागर ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रकार का लक्ष्य है समाज को सही दिशा प्रदान करना, समाज में सत्यम शिवम सुंदरम के भाव को परिलक्षित करना। उन्होंने संस्कृत साहित्य में विद्यमान मूल्यों के द्वारा पत्रकार और पत्रकारिता की भूमिका कैसी होनी चाहिए इस विषय पर चर्चा की।
डॉ. पंकज कुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रकार चाहे तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिसप्रकार अनेक प्रकार के खाद्यपदार्थ से शरीर पुष्टता को प्राप्त करता है उसी प्रकार पत्रकारों द्वारा प्राप्त विभिन्न प्रकार की सूचनाएं अथवा वर्तमान में विद्यमान अन्य सम्प्रेषण के साधन हमारे लिए मानसिक खुराक का कार्य कर रहें है। नारद मुनि के विषय में चर्चा करते हुए डॉ. मिश्र ने कहा कि नारद मुनि समाज को सुशिक्षित करने का उपक्रम हैं।
नारद मुनि के विभिन्न रूप जन-जन में समाज के कण-कण में विद्यमान हैं बस आवश्यकता है समाज को पत्रकार बंधुओं को उन पर ध्यान देते हुए स्वंय में सकारात्मक परिवर्तन लाने की। डॉ. प्रसून कुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में नारद मुनि के अनेक रूपों की चर्चा की। अनेक संस्कृत उदाहरण को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने नारद मुनि के विहंगम रूपों के द्वारा समाज और पत्रकारिता में परिवर्तन की बात पर बल दिया। देवर्षि नारद समाज में सकारात्मक परिवर्तन तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते थे। उन्हें जिस रूप में कलयुग में प्रस्तुत किया गया है आवश्यकता है उनके उन रूपों में परिहास के स्थान पर ज्ञान को देखने की।
एमिटी सेंटर फॉर संस्कृत एंड इण्डिक स्टडीज विभाग की संयोजिका एवं सेमिनार की संयोजिका डॉ. सुप्रिया संजू ने मंच सञ्चालन किया। ऑनलाइन पटल के मंच का सञ्चालन करते हुए डॉ. सुप्रिया ने नारद मुनि के विषय में अनेक तथ्यों से सभी को अवगत कराया। आज समाज में समाचार से अधिक सदाचार की आवश्यकता है इस सकारात्मक विचार के साथ राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हुआ।
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