देहरादून : हल्द्वानी रेलवे जमीन अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, पिछली दो मई की तारीख में राज्य सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी करने पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी खासे नाराज बताए जाते हैं। जिसके बाद शासन ने सुप्रीम कोर्ट में तैनात एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सह स्थाई अधिवक्ता अभिषेक अत्रेय की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
उल्लेखनीय है हल्द्वानी रेलवे की और उत्तराखंड सरकार की जमीन करीब 78 एकड़ चार हजार तीन सौ पैसठ घरों का कथित रूप से कब्जा है, इस कब्जे पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 20 दिसंबर को कब्जा हटाने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मुस्लिम बाहुल्य बनभूलपुरा क्षेत्र में भारत और उत्तराखंड सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे और अतिक्रमणकारियों की पैरवी करते हुए कांग्रेस और सपा ने सुप्रीम कोर्ट में सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण जैसे नामी वकील खड़े करके, कब्जेदारों को स्टे की राहत दिलवा दी थी।
दो मई की तिथि को कमजोर पैरवी की वजह से कोर्ट ने कब्जेदारों की एसएलपी भी स्वीकार कर ली और स्टे भी स्थाई हो गया और उत्तराखंड से कब्जेदारों के लिए उचित समाधान, जैसे विषय निर्देशित कर दिए, यानि अब मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चलेगा। ऐसा बताया गया है जब ये मामला सुना जा रहा था तो उत्तराखंड सरकार की तरफ से पैरवी सही ढंग से नहीं हो पाई।
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसी बात को लेकर खासे नाराज बताए जा रहे हैं। बतादें, नैनीताल जिला प्रशासन ने शासन के साथ बैठक करके इस विषय पर व्यापक चर्चा की थी और इस मामले पर शासन स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए आवश्यक प्रमाणिक दस्तावेज भी उपलब्ध करवाए गए थे, लेकिन ये सब कुछ कोर्ट में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत नही किया जा सका।
उधर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व भी इस मामले में गंभीर रुख अपनाए हुए है, स्मरण रहे कि इस मामले में कांग्रेस विधायक सपा राष्ट्रीय मंत्री सहित कई बड़े विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं जबकि बीजेपी की तरफ से कोई नेता वहां नही जाता और सरकार भरोसे इस मामले को छोड़ दिया गया था, जिस पर पार्टी हाई कमान ने नाराजगी व्यक्त की है।
माना जा रहा है धामी सरकार जुलाई के प्रथम हफ्ते की तारीख में इस मामले पर प्रभावी रुख अपनाएगी और अब तक हुई किरकिरी के आरोप से मुक्त होने का प्रयास करेगी।
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