केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक जोड़े को सरोगेसी एक्ट के दायरे में लाने का विरोध किया
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक जोड़े को सरोगेसी एक्ट के दायरे में लाने का विरोध किया

केंद्र ने कहा- ऐसे कपल को सरोगेसी की इजाज़त देना इस एक्ट के दुरुपयोग को बढ़ावा देना होगा, किराए की कोख से जन्मे बच्चे के भविष्य को लेकर आशंका बनी रहेगी

by WEB DESK
May 9, 2023, 07:43 pm IST
in भारत
supreme court

भारत का सर्वोच्च न्यायालय

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केंद्र सरकार ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे और समलैंगिक जोड़े को सरोगेसी एक्ट के दायरे में लाने का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में सरकार ने कहा है कि ऐसे कपल को सरोगेसी की इजाज़त देना इस एक्ट के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा। साथ ही किराए की कोख से जन्मे बच्चे के उज्ज्वल भविष्य को लेकर भी आशंका बनी रहेगी।

कोर्ट ने 23 जनवरी को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वह याचिका की कॉपी एएसजी ऐश्वर्या भाटी के कार्यालय को उपलब्ध कराए। दरअसल, अविवाहित महिला ने एक याचिका दाखिल कर सरोगेसी कानून, 2021 के उस प्रावधान को चुनौती दी है, जिसमें अविवाहित महिलाओं को ‘इच्छुक महिला’ की परिभाषा के दायरे से बाहर रखा गया है। ऐसा होने से याचिकाकर्ताओं को सरोगेसी के जरिये संतान का विकल्प खत्म हो जाता है।

याचिका में कहा गया है कि इस कानून के तहत इच्छुक महिलाओं में भारतीय महिलाएं शामिल हैं, जो 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच विधवा या तलाकशुदा हैं और जो सरोगेसी का लाभ उठाने का इरादा रखती हैं। इसके अलावा वह महिला सरोगेसी से संतान चाहने वाले जोड़े से जेनिटक रूप से जुड़ी हुई होनी चाहिए। इन सारे शर्तों के साथ किसी महिला को सरोगेसी के लिए खोजना काफी मुश्किल काम है। याचिका में कहा गया है कि दोनों कानूनों के प्रावधान संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन करते हैं।

Topics: surrogacy actNational Newsराष्ट्रीय समाचारसुप्रीम कोर्ट समाचारSupreme Court Newsसमलैंगिक जोड़े पर केंद्र का बयानसमलैंगिक जोड़ा और सरोगेसी एक्टसरोगेसी एक्टsame sex couple and surrogacy actcentral government on same sex couple
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