पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कल एक हास्यास्पद बैठक हुई जिसमें पाकिस्तान, चीन व अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने ‘आतंकवाद को खत्म करने’ के लिए ‘मिलकर’ काम करने पर हामी भरी, हाथ मिलाए और दुनिया के सामने झूठ का पर्दा डालने की कोशिश की।
गोवा, भारत में आतंकवाद के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की मेजबानी में ‘आतंकवाद को समाप्त करने की खाई गईं कसमें’ एक बार फिर बिलावल को अपरिपक्व और सच पर पर्दा डालने वाले व्यक्ति के तौर पर सामने रखती हैं।
प्राप्त समाचार के अनुसार, कल की इस बैठक में अनुभवहीन पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ अफगानिस्तान के ‘कार्यवाहक विदेश मंत्री’ आमिर खान मुत्तकी और चीन के विदेश मंत्री छिन गांग मौजूद थे। हैरान न हों कि मुत्तकी पाकिस्तान कैसे पहुंचे? अफगानिस्तान की कट्टर इस्लामी शरियाई लड़ाका जमात की ‘सरकार’ के इस विदेश मंत्री को इस्लामाबाद जाने की इजाजत संयुक्त राष्ट्र की तरफ से विशेष तौर पर दी गई थी। ये तीनों मिलकर ‘राजनीतिक संबंध बढ़ाने, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सहयोग, कारोबार, निवेश तथा कनेक्टिविटी बढ़ाने’ पर सहमत हो गए। यानी दुनिया को एक बार फिर ‘झांसे’ में रखने पर सहमत हो गए!
यह एक मजाक है कि दुनियाभर में आतंकवाद का निर्यातक माने जाने वाला पाकिस्तान, हांगकांग, ताइवान, मंगोलिया और अपने पड़ोसी देशों को आतंकित करने वाला चीन तथा बंदूक की नोंक पर काबुल की गद्दी पर चढ़ बैठे अफगानिस्तान की सरकार के नुमाइंदे ‘आतंकवाद’ को खत्म करने की बात करते हैं!
बैठक के बाद ‘आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे तीनों’ के शीर्षक के साथ जब तीनों विदेश मंत्रियों की फोटो जारी हुई दुनिया के अनेक कूटनीति विशेषज्ञों की हंसी छूट पड़ी होगी। कठमुल्ले मुत्तकी के बगल में बिलावल के खड़े होने का अंदाज और चीन के विदेश मंत्री की ‘बॉडी लैंग्वेज’ तीनों के बीच ‘ताकत संतुलन’ की पोल खोलती है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान चीन के पैसे पर पल रहे हैं, ऐसे में एक और मजाक यह हुआ कि तीनों कई तरह के ‘आर्थिक सहयोग को बढ़ाने’ पर भी राजी हुए। कल पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इस ‘प्रहसन’ के बाद बयान जारी करके इन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर हुई चर्चा और सहमति की जानकारी दी।
आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान के विदेश विभाग का वह बयान कहता है, ‘तीनों देश तितरफा ढांचे के अंतर्गत आपस में राजनीतिक तौर पर जुड़ेंगे जैसे अभी अलग हैं, आतंकवाद से निपटने हेतु सहयोग करेंगे (जैसे अभी मिलकर दुनिया में आतंकवाद को बढ़ा नहीं रहे हैं, पाकिस्तान में तो प्रतिबंधित जिहादी गुटों के नेता सरकार की सरपरस्ती में खुलेआम घूम रहे हैं), मिलकर कारोबार करेंगे (जैसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान की कट्टर इस्लामी हुकूमतों के तहत कारोबार जैसी चीज वहां बची है), निवेश और संपर्क बढ़ाएंगे (वैसे अभी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पास आम लोगों का पेट भरने तक के लिए भी पैसा नहीं है )!
बैठक के बाद ‘आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे तीनों’ के शीर्षक के साथ जब तीनों विदेश मंत्रियों की फोटो जारी हुई दुनिया के अनेक कूटनीति विशेषज्ञों की हंसी छूट पड़ी होगी। कठमुल्ले मुत्तकी के बगल में बिलावल के खड़े होने का अंदाज और चीन के विदेश मंत्री की ‘बॉडी लैंग्वेज’ तीनों के बीच ‘ताकत संतुलन’ की पोल खोलती है।
गोवा में भारत की ओर से आतंकवाद पर खरी खरी सुनने के बाद, पाकिस्तान लौटे बिलावल की पूर्व प्रधानमंत्री इमरान सहित अनेक नेताओं ने ही खिंचाई कर दी। पैसे की ठसक को खुलेआम दर्शाते राजनीति का ककहरा न जानने वाले बिलावल ने ‘पाकिस्तान को बेइज्जत करवा दिया’ जैसे आरोप भी लगाए गए हैं। भारत के विदेश मंत्री ने एससीओ मंच का सदुपयोग करते हुए पाकिस्तान को परोक्ष रूप से आतंकवाद के प्रायोजक के नाते बेपर्दा कर दिया था।
मजाक शायद अधूरा रह गया था, इसलिए अफगानी ‘विदेश मंत्री’ मुत्तकी ने बिलावल से अलग से भी बात की। इसके बाद जारी हुए बयान में लिखा गया, ‘दोनों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा चली। शांति तथा सुरक्षा के संदर्भ में दोनों ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए आपसी सहयोग को गहराने पर जोर दिया’। और एक दिलचस्प तथ्य यह है कि लड़ाका तालिबान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल सैयद असीम मुनीर से भी अलग से बात की!
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