बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं । यहां सभी 224 सीटों पर एक ही चरण में 10 मई को मतदान होना है और 13 मई को परिणाम भी आ जाएंगे। ऐसे में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का दाव अब उसे उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। यहां हनुमान भक्तों की संख्या करोड़ो में है और उन्हें यह बात नागवार गुजरी है कि जिन बजरंगबली को वे अपना आराध्य मानते हैं, उन्हें मानने एवं उनके नाम से स्थापित किए गए बजरंग दल पर कांग्रेस सत्ता में आते ही प्रतिबंध लगा देने की बात ही नहीं कह रही बल्कि अन्य आतंकी चरमपंथी संगठनों के साथ उसकी तुलना भी कर रही है।
दरअसल, कर्नाटक में हनुमान भक्ति का भाव इतना प्रवल है कि यहां के हर गांव के बाहर या किसी भी शहर में प्रवेश करने के पूर्व आपको हनुमान जी का दिव्य मंदिर जरूर मिलेगा। वैसे भी बजरंगबली का जन्म स्थान पुराणों, बाल्मिकि रामायण एवं अन्य सनातन हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में ”कर्नाटक” बताया गया है । वास्तव में देश का ”कर्नाटक” ही वह पहला राज्य भी है, जहां सेंकड़ों में नहीं बल्कि हजारों की संख्या में यदि किसी देवता की मूर्तियां स्थापित हुईं एवं भव्य मंदिर मिलते हैं तो वे श्रीराम भक्त हनुमान ही हैं।
भाजपा सरकार बनवा रही करोड़ों का भव्य हनुमान मंदिर, प्रोजेक्ट हुआ तैयार
हनुमान जी के प्रति यहां के लोगों की अपार भक्ति को कर्नाटक राज्य में पिछले भाजपा शासन के आने के बाद से कुछ गंभीर शोध परक कार्य भी हुआ है। यही कारण है कि कर्नाटक राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों को भव्य हनुमान मंदिर बनाने का आदेश दिया है। पिछले दिनों कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई स्वयं भी इस प्रोजेक्ट में काफी दिलचस्पी लेते हुए दिखाई दिए हैं।
कर्नाटक के पर्यटन मंत्री आनंद सिंह कहते हैं कि भगवान हनुमान कर्नाटक में जन-जन के आराध्य हैं। इनसे संबंधित प्रोजेक्ट बना है, इसका ब्लूप्रिंट बनकर तैयार है और इसके लिए 100 करोड़ रुपये भी सरकार की ओर से दे दिए गए हैं। यह मंदिर तुंगभंद्रा नदी के किनारे वर्ल्ड हेरिटेज हंपी से महज 20 किमी की दूरी पर अंजनाद्रि पर्वत पर बनाया जाना प्रस्तावित है । मान्यता है कि यही वो पर्वत है जहां हनुमान का जन्म हुआ था।
स्थानीय मान्यता हनुमानजी करते हैं दुष्ट और परा शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा
श्रीराम भक्त हनुमान कर्नाटक में घर-घर पूजे जाते हैं, इसलिए कि उनका जन्म स्थान यह राज्य है, देखा जाए तो यह एक तथ्य है, इसके अलावा जो बड़ा कारण भी सामने आया है, वह हनुमानजी का संकटमोचन होना और दुष्ट एवं परा शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करना भी है। यहां ऐसी मान्यता आम है कि हनुमान के चरण पकड़े रहो, वे आपके सभी संकटों को हर लेंगे। इस संबंध में रिसर्च स्कॉलर माला एस कहती हैं कि हनुमान जी पॉवरफुल गॉड हैं। इसलिए पूरे कर्नाटक में आप जहां भी जाएंगे आपको कोई अन्य देखता मिलें अथवा नहीं बजरंगबली के मंदिर वह भी गांव के बाहर अवश्य मिल जाएंगे।
गांव के बाहर हनुमान मंदिर होने की ये है मुख्य वजह
मंदिर को गांव के बाहर बनाने के पीछे सुश्री माला एस का दावा है कि यहां की स्त्रियों में अपने आराध्य हनुमान जी के प्रति इतनी अधिक श्रद्धा है कि वे हनुमान मंदिर की पवित्रता को हर हाल में बनाए रखना चाहती हैं। उन्होंने भगवान धन्वन्तरि ने सुश्रुत शारीर स्थान में लिखे रजस्वला स्त्री संबंधी श्लोक –
मासेनोपचितं काले धमनीभ्यां तदार्तवम्।
ईषत्कृष्ण विदग्धं च वायुर्योनिमुखं नयेत।।
इसका उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं को प्रत्येक मास होनेवाले मासिक धर्म के बारे में हमारे आयुर्वेद ग्रंथ एवं पुराण साहित्य में विस्तार से दिया गया है, अब तो आधुनिक चिकित्सक एवं विज्ञान भी मानता है कि महिलाएं रजस्वला समय में मानसिक एवं शारीरिक रूप से दबाव महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि हनुमान जी कर्नाटक में हम सभी के लिए सिक्योरिटी करनेवाले देवता की भूमिका में हैं। हर कष्ट से वे हमारी रक्षा करेंगे ये यहां लोगों के बीच विश्वास दृढ़ है। साथ ही हनुमान मंदिर के साथ पवित्रता का भाव भी जुड़ा है, इसलिए यहां बुजुर्गों का परम्परागत रूप से मानना यही है कि बजरंगबली मंदिर गांव या शहर के आरंभ में फिर वे किसी भी दिशा से अंदर आने का मार्ग क्यों न हो, वहां उनका मंदिर अवश्य होना चाहिए। वे हमारी चारों दिशाओं से रक्षा करेंगे। अत: यहां हम देखते भी हैं कि इसी मान्यता के अनुरूप यहां हनुमान जी के मंदिर सर्वत्र पाए जाते हैं।
कर्नाटक वानरों के विशाल साम्राज्य, प्राचीन किष्किंधा का केंद्र
इस बात की पुख्ता पुष्टि जीकेवीके विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. सुवर्णा वीसी बेंगलुरु ओर गहराई से कर देती हैं। डॉ. सुवर्णा का कहना है कि भारत में हर ढाई कोस पर वाणी, भूषा एवं संस्कृति में बदलाव मिल जाता है। विविध कला-संस्कृतियों से आबद्ध भारत में संस्कृतिक तौर पर भी राज्यों के भीतर अलग-अलक सनातन हिन्दू संस्कृति के प्रतीक चिन्ह, देव स्थानों के दर्शन एवं मान्यता के साथ उनकी स्थापना के अवशेष मिलते हैं। ऐसे में स्वभाविक रूप में जब कर्नाटक का जिक्र आता है तो इस राज्य को वानरों के विशाल साम्राज्य के रूप में भी जाना जाता है। कर्नाटक में बेल्लारी जिले के हंपी का हनुमान मंदिर यंत्रोद्धारक हनुमान के रूप में विख्यात है। मान्यताओं के अनुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी भी है। रामायण में भी इस स्थान का वर्णन वानरों के स्थान के रूप में है। यहां मौजूद कई गुफाएं आज इसका साक्षात प्रमाण हैं।
श्रीराम जी की यहीं हुई थी हनुमान जी से पहली बार भेंट
उन्होंने बताया कि पीढ़ियों से हम सुनते आ रहे हैं कि हुनमान जी के जन्म स्थान किष्किंधा नगरी में ही हनुमान जी और राम जी की पहली बार भेंट हुई थी। मौजूदा दौर में कर्नाटक का कोप्पल और बेल्लारी जिले का क्षेत्र ही तत्कालीन किष्किंधा नगरी था। इस स्थान पर हनुमानजी की जन्मस्थान अंजनाद्रि पर्वत, ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर, बाली की गुफा, ऋषम्यूक पर्वत सहित अनेक देव स्थान मौजूद हैं। डॉ. सुवर्णा यहीं नहीं रुकती वे बताती हैं कि भारतीय हिन्दू सांस्कृतिक कई ग्रंथों में यह भी उल्लेख मिल जाता है कि लंका विजय के पश्चात अयोध्या वापसी में श्रीराम ने एक रात्रि यहां विश्राम भी किया था। मां सीता को किष्किंधा और यहां की तमाम विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया था। डॉ. सुवर्णा कहती हैं कि यहाँ रचित काव्य “उघथवागलि नम्म चेलुब कन्नड़ नाड” में हुयिलगोलु नारायणराज लिखते हैं कि “” हनुमनुदिसिक नाडु” (जहाँ हनुमान जी का जन्म हुआ) । ये रचना अति प्राचीन है और यह बताने के लिए पर्याप्त कि बजरंगबली का मूल
कर्नाटक ही है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है हम्पी
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक राज्य के विजयनगर में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी क्षेत्र प्राकृतिक एवं एतिहासिक रूप से अत्यधिक सुंदर है। यहां कई भव्य मंदिर हैं, जिनका अपना विशेष ऐतिहासिक महत्व है। इसलिए यह पूरा क्षेत्र खंडहरों समेत यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म स्थान भी यहीं आस-पास में है।
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