रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को जम्मू संभाग के सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ में सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया, जहां आतंकियों द्वारा अक्टूबर 2021 से अब तक किए गए आठ हमलों में 26 सुरक्षाकर्मी बलिदान हुए हैं जबकि 9 लोगों की मौत हुई है।
रक्षा मंत्री के राजौरी दौरे के एक दिन पहले जिले के कंडी वन इलाके में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के पांच पैरा कमांडो ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
अधिकारियों ने कहा कि राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ जम्मू में कुछ देर रुकने के बाद राजौरी में ऐस ऑफ स्पेड्स डिवीजन मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान में लगे सैनिकों से भी बातचीत की। अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, कॉर्प्स कमांडर व्हाइट नाइट कॉर्प्स और जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर भी राजनाथ के साथ मौजूद रहे ।
उन्होंने कहा कि कंडी वन क्षेत्र में अभियान के बारे में संक्षिप्त जानकारी लेने के बाद रक्षा मंत्री ने जम्मू लौटने से पहले जम्मू-कश्मीर, खासकर राजौरी और पुंछ में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
अधिकारियों ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे रक्षा मंत्री से पहले दिल्ली से जम्मू पहुंचे थे। उपराज्यपाल भी रक्षा मंत्री की अगवानी करने के लिए वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारियों के साथ शामिल हुए।
इससे पहले दिन में लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने मुठभेड़ स्थल का दौरा किया और उन्हें ग्राउंड कमांडरों द्वारा चल रहे ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ के घटनाक्रमों की जानकारी दी गई।
शुक्रवार को कंडी इलाके में चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के पांच जवान शहीद हो गए और मेजर रैंक का एक अधिकारी घायल हो गया। शनिवार सुबह एक छिपे हुए आतंकी को मार गिराया गया और एक अन्य के घायल होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि जम्मू में राजौरी और पुंछ, जिन्हें एक दशक से अधिक समय पहले आतंकवाद मुक्त घोषित किया गया था, वहां पिछले 18 महीनों में आतंकियों द्वारा किए गए घातक हमलों से अब दहशत का माहौल है।
राजौरी के कंडी वन क्षेत्र में पांच जवानों का बलिदान इस साल की तीसरी बड़ी घटना है। यह ऐसे समय में हुआ जब भाटा धूलियां (पुंछ) में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर किए गए हमले के बाद सेना पिछले 15 दिनों से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान में लगी हुई थी।
20 अप्रैल को इफ्तार के लिए फल और सब्जियां ले जा रहे सेना के एक ट्रक पर आतंकियों द्वारा किए गए हमले में पांच जवान बलिदान हो गए थे और एक अन्य घायल हो गया था।
घटना के मद्देनजर तलाशी अभियान के दौरान 250 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को पूरा समर्थन देने वाले छह सक्रिय कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।
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