भारत में ऐसे कई भव्य प्राचीन मंदिर हैं, जो अपने बेमिसाल स्ट्रक्चर और सुंदरता से आज की मॉडर्न इंजीनियरिंग को हौरान कर देते हैं। इन्हीं में से एक है। कोणार्क का सूर्य मंदिर, जो अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए है। समुद्र तट का किनारा, समृद्ध संस्कृति जैसी चीजें कोणार्क मंदिर को भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाती हैं। यह स्थान न सिर्फ भारतीय सैलानियों के लिए बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर किसने बनवाया था ?
इस मंदिर का निर्माण 1250 ई. में गांग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के तट पर उड़ीसा शहर के पुरी शहर के पास स्थित है। जो भगवान सूर्य को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में भी शामिल है। यह मंदिर कलिंग शैली में बना हुआ है। मंदिर को पूर्व दिशा की ओर ऐसे बनाया गया है, कि सूरज की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर क्यों है खास ?
इस मंदिर की संरचना भगवान सूर्य देव के रथ के आकार की बनाई गई है। इस रथ में 12 जोड़ी पहिए बनाए गए हैं, जिसे 7 घोड़े रथ को खींचते हुए दर्शआए गए हैं, यह 7 घोड़े 7 दिन के प्रतीक माने गए हैं, तो वहीं 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों को बताते हैं, इसी के साथ यह भी मान्यता है, कि 12 पहिए साल के 12 महीनों के प्रतीक हैं। इस मंदिर में बनी 8 ताड़ियां हैं, जो दिन के 8 प्रहर को दिखाती हैं।
किस मौसम में कोणार्क के सूर्य में जाना सही रहेगा
इस मंदिर में वैसे तो कभी भी जाया जा सकता है, समुद्र का किनारा, बेहतरीन मंदिर स्ट्रक्चर और इस मंदिर के रहस्य आपको हर मौसम में शानदार ही लगेंगे, लेकिन अक्टूबर से फरवरी तक यहां पहुंचने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
कैसे पहुंचें कोणार्क के सूर्य मंदिर ?
अगर ट्रेन से कोणार्क जाना चाहते हैं, तो आप भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से कोणार्क पहुंच सकते हैं या पुरी रेलवे स्टेशन से भी कोणार्क पहुंचा जा सकता है। वहीं अगर आप फ्लाइट से कोणार्क जाना चाहते हैं, तो सबसे नजदीक एअरपोर्ट बीजू पटनायक इंटरनेशनल एअरपोर्ट भुवनेश्वर है। जहां से कोणार्क करीब 65 किलोमीटर है। वहां से हवाई सफर पूरा करने के बाद आप कैब लेकर आसानी से कोणार्क पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग की अगर बात करें, तो कोणार्क पहुंचने के लिए भारत के लगभग सभी हिस्सों से आप पहुंच सकते हैं।
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