नई दिल्ली। मणिपुर में बुधवार को हिंसा हुई। बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों से सटे विभिन्न इलाकों में उत्पातियों ने हंगामा किया। तोरबंग में बुधवार को मैतेई हिंदू परिवार के घरों में आग लगा दी और महिलाओं और बच्चों सहित अन्य लोगों पर हमला किया। इसमें कुकी विद्रोहियों के शामिल होने की आशंका है। अधिकांश कुकी ईसाई मत में कन्वर्ट हो चुके हैं।
मणिपुर में सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। पांच दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। 4000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में कर्फ्यू लगाया गया है। तोरबंग के एक स्थानीय ने बताया कि लोगों के एक सशस्त्र समूह ने बुधवार शाम 6 बजे तक मैतेई हिंदू से संबंधित घरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। अत्याधुनिक हथियारों से लैस बदमाशों ने घरों में तोड़फोड़ करते हुए कई राउंड गोलियां चलाईं।
आतंकित लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया और आसपास के हिंदू बहुल क्षेत्रों जैसे सैटोन, मोइरांग, निंगथौखोंग, बिष्णुपुर और राजधानी इंफाल में शरण ली। तोरबंग के एक अन्य निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर फोन पर सूचित किया कि हिंदुओं पर हमले के पीछे का मकसद अज्ञात है, लेकिन हिंसा में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के शामिल होने की आशंका है।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, राज्य सरकार ने बुधवार शाम से मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया और राज्य के आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई।
एकजुटता रैली के बाद हुईं हिंसक घटनाएं
मैतेई हिंन्दू को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग के खिलाफ बुधवार को मणिपुर के विभिन्न जनजातीय निकायों द्वारा आयोजित ‘एकजुटता रैली’ के बाद हिंसक घटनाएं हुईं। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) की ओर से कहा गया, “एसटी श्रेणी में शामिल करने के लिए मेइतेई/मीतेई समुदाय की मांग जोर पकड़ रही है और घाटी के विधायक खुले तौर पर मांग का समर्थन कर रहे हैं, शीर्ष संगठन, छात्र संगठन और राज्य के आदिवासी जनता सहित विभिन्न आदिवासी संगठन इस मांग पर आपत्ति जता रहे हैं।” एटीएसयूएम के कार्यालय ज्ञापन में चर्च के नेताओं सहित पहाड़ी क्षेत्रों से संबंधित सभी निकायों से अपील की गई है। द ट्राइबल चर्च लीडर्स फोरम (TCLF), मणिपुर ने 1 मई, 2023 को आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से ATSUM के ‘सॉलिडरी मार्च’ का समर्थन करने का संकल्प लिया। टीसीएलएफ ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “एटीएसयूएम द्वारा आयोजित यह एकजुटता मार्च मणिपुर के आदिवासी लोगों के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक हितों की सामूहिक रूप से रक्षा करने के लिए है।”
सुरक्षा बलों ने निकाला फ्लैग मार्च, चार हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
प्रभावित हिंदुओं की संख्या लगभग 4000 ने अपने जीवन के लिए पास की भारतीय सेना और अर्ध-सैन्य शिविरों में शरण ली। राज्य सरकार के अनुरोध के बाद, चुराचंदपुर के ईसाई और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सेना/असम राइफल्स को तैनात किया गया है। भारतीय सेना ने एक बयान में कहा, “ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाने और कानून-व्यवस्था बहाल करने की कार्रवाई चल रही है।” इस बीच, सुरक्षा बलों ने कथित रूप से कुकी उग्रवादी संगठनों द्वारा समर्थित उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए फ्लैग मार्च निकाला।
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