डॉ. बी.आर. आंबेडकर की जयंती पर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की कथित छिपी हुई संपत्ति को लेकर विस्फोटक सूचनाएं सार्वजनिक की थीं। इसके बाद से राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। अन्नामलाई ने इसे ‘डीएमके फाइल्स’ का नाम दिया है।
तमिलनाडु के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने 14 अप्रैल को तमिल नववर्ष और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की जयंती पर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की कथित छिपी हुई संपत्ति को लेकर विस्फोटक सूचनाएं सार्वजनिक की थीं। इसके बाद से राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। अन्नामलाई ने इसे ‘डीएमके फाइल्स’ का नाम दिया है। पहली सूची में उन संपत्तियों की जानकारी है, जिन्हें द्रमुक यानी डीएमके के 12 नेताओं ने कथित रूप से धोखाधड़ी कर हासिल किया है। यह संपत्ति 1.34 लाख करोड़ रु. की बताई जा रही है।
इन खुलासों में द्रमुक के प्रथम परिवार के स्वामित्व वाली संपत्ति ‘जी स्क्वायर’ के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 2019 में इससे केवल 52 करोड़ रु. की आमदनी हुई थी। लेकिन द्रमुक के सत्ता में आने के बाद से इसके मूल्य में रहस्यमय तरीके से वृद्धि हुई और अब इसका मूल्य 32,000 करोड़ रुपये से अधिक है। अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की ‘रेड जायंट मूवीज’ और कंपनी के निवेशकों के विस्तार पर भी प्रश्न खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के दामाद सबरेसन ने धनशोधन के लिए वेस्टपैक बैंक और फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया था। इसके परिणामस्वरूप, 24 अप्रैल के बाद से तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में रियल एस्टेट कंपनी के 50 कार्यालयों में आयकर विभाग द्वारा छापे मारे गए हैं।
जब सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य लोगों की कुन्नूर के पास हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हुई थी, तब उनके सम्मान में नीलगिरी में सभी दुकानों और व्यवसायों को बंद रखा गया था। सड़कों पर उतरे हजारों लोगों ने ‘वीर वणक्कम’ के नारों के साथ पार्थिव शरीरों को ले जाने वाले वाहनों पर फूल बरसाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। यह इस बात का एक प्रतीक था कि तमिलनाडु की जनता आखिरकार प्रदेश को उस द्रविड़वादी राजनीति की जकड़न से मुक्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक हो रही है, जिसने इसे एक सदी से भी अधिक समय से जकड़ रखा है।
‘लूट’ का खुलासा
अप्रैल माह की शुरुआत में अन्नामलाई ने एक आडियो भी जारी किया था। तमिलनाडु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष द्वारा जारी 57 सेकंड की इस आडियो रिकॉर्डिंग में द्रमुक के प्रथम परिवार के कथित तौर पर पार्टी, विधायकों और मंत्रियों पर हावी होने के बारे में खुलासे किए गए हैं। इसमें तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन (पीटीआर) को एक पत्रकार को यह बताते हुए सुना गया कि मुख्यमंत्री के बेटे और दामाद ने एक ही वर्ष में 30,000 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। आॅडियो में राज्य के वित्त मंत्री ने पद छोड़ने की इच्छा जताते हुए भाजपा की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति की सराहना भी की है।
इस खुलासे के बाद राज्य के भाजपा नेताओं ने राज्यपाल आर.एन. रवि से मुलाकात की और कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर राज्य के वित्त मंत्री के आडियो टेप की निष्पक्ष फॉरेंसिक जांच कराने की मांग की। इसके उत्तर में द्रमुक की युवा शाखा के नेता और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अन्नामलाई को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उनके भाषण और उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए बिना शर्त सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। इसके अलावा, उदयनिधि ने 48 घंटे के भीतर हर्जाने के रूप में 50 करोड़ रुपये के भुगतान की भी मांग की। द्रमुक सांसद टी.आर. बालू ने भी अन्नामलाई को अपनी ‘छवि खराब करने’ के लिए कानूनी चेतावनी भेजी है। इस पर अन्नामलाई ने कहा कि वह परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं।
भाजपा की बढ़ती ताकत
अन्नामलाई के खुलासों के कारण राज्य का राजनीतिक माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है। जाहिर तौर पर राज्य सरकार और द्रमुक प्रदेश में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को लेकर बहुत चिंता में है। अप्रैल महीने की शुरुआत में ही द्रमुक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को तमिलनाडु में पथ संचलन निकालने से रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन शीर्ष अदालत द्वारा द्रमुक सरकार की याचिका खारिज करने के बाद तमिलनाडु में 45 स्थानों पर शांतिपूर्वक मार्च निकाला गया था। कई जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक स्वीकार कर रहे हैं कि तमिलनाडु की राजनीति में पदार्पण के बाद से अन्नामलाई ने द्रमुक और अन्नाद्रमुक में खलबली पैदा कर दी है। राज्य में भाजपा लगातार शक्तिशाली होती जा रही है और एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर रही है।
वास्तव में अन्नामलाई का उदय भाजपा के लिए एक नया अनुभव है। अन्नामलाई की साख बेदाग है। आईआईएम लखनऊ से एमबीए अन्नामलाई ईमानदार आईपीएस अधिकारी रहे हैं, जिन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। मंगलुरु, जहां वह पुलिस अधिकारी थे, में उनकी पहचान ‘सिंघम’ के रूप में थी। अविवाहित अन्नामलाई पूरी तरह पार्टी को समर्पित हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीतिक नहीं है। यह उन अन्य युवा राजनेताओं के ठीक विपरीत है, जो सिर्फ वंशवाद के बूते नेता बने हैं।
राजनीतिक विश्लेषक स्वीकार कर रहे हैं कि तमिलनाडु की राजनीति में आने के बाद अन्नामलाई ने द्रमुक व अन्नाद्रमुक में खलबली पैदा कर दी है। राज्य में भाजपा शक्तिशाली होती जा रही है।
और होंगे खुलासे
सत्तारूढ़ द्रमुक के समर्थक मीडिया और पत्रकार भाजपा को एक ‘अलगाववादी, कट्टरपंथी और उत्तर भारतीय पार्टी’ के रूप में चित्रित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देकर द्रविड़ पार्टियां लंबे समय तक तमिलनाडु में सत्तारूढ़ रही हैं। लेकिन अब राज्य का राजनीतिक माहौल बदलता नजर आ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार शुरू हो चुका है। सत्ता का अभिकेंद्र द्रमुक के प्रथम परिवार के हाथों में होने के कारण, जैसा कि आॅडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट नजर आता है, दूसरी पंक्ति के नेताओं में पार्टी की कार्य करने की क्षमता पर विश्वास नहीं रह गया है।
इस असंतोष का पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है। जिस तरह नारदा-सारदा घोटालों ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की नींव हिला दी थी, माना जा रहा है कि तमिलनाडु में भी वैसा ही कुछ होगा। राज्य में इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है। तमिलनाडु द्रविड़वादी राजनीति का गढ़ रहा है। लेकिन आने वाले दिनों में यह किला ढहने की संभावना अधिक है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग द्रमुक के भ्रष्टाचार की कहानी पर विश्वास कर रहे हैं। इससे उत्साहित होकर राज्य अन्नामलाई ने ‘डीएमके फाइल्स-2’ भी लाने का वादा किया है।
यह कहानी जैसे-जैसे जनचर्चा में आती जाएगी, द्रविड़वादी राजनीति से राज्य अलग होता जाएगा। तमिलनाडु की जनता भी इस राजनीति से ऊबने लगी है। जब सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य लोगों की कुन्नूर के पास हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हुई थी, तब उनके सम्मान में नीलगिरी में सभी दुकानों और व्यवसायों को बंद रखा गया था। सड़कों पर उतरे हजारों लोगों ने ‘वीर वणक्कम’ के नारों के साथ पार्थिव शरीरों को ले जाने वाले वाहनों पर फूल बरसाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। यह इस बात का एक प्रतीक था कि तमिलनाडु की जनता आखिरकार प्रदेश को उस द्रविड़वादी राजनीति की जकड़न से मुक्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक हो रही है, जिसने इसे एक सदी से भी अधिक समय से जकड़ रखा है।
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