आए दिन होने वाली वारदातों की वजह से राज्य प्रशासन की किरकिरी होती रहती है। इसके बावजूद आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण की ईमानदार कोशिश नजर नहीं आती। इसी बीच, उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज में वंचित समुदाय की एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की घटना ने राज्य प्रशासन की भूमिका पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
पश्चिम बंगाल में बेलगाम हो चुके अपराधियों का मनोबल आसमान छूने लगा है। आए दिन होने वाली वारदातों की वजह से राज्य प्रशासन की किरकिरी होती रहती है। इसके बावजूद आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण की ईमानदार कोशिश नजर नहीं आती। इसी बीच, उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज में वंचित समुदाय की एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की घटना ने राज्य प्रशासन की भूमिका पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना को लेकर विपक्षी दल ममता सरकार पर हमलावर हैं, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी अपने बचाव की कोशिशों में पलटवार की रणनीति अपना रही है। भाजपा नेता लॉकेट चटर्जी ने घटना की सीबीआई जांच की मांग की है।
थम नहीं रहा आक्रोश
उत्तर दिनाजपुर जिले के गंगुआ गांव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की बीते 13 अप्रैल की शाम ट्यूशन के लिए निकली थी। उसके बाद से वह लापता हो गई थी। रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने उसकी काफी खोजबीन की, लेकिन उसका पता नहीं चल सका। घटना के एक दिन बाद वनवासी और राजबंशी समुदाय के आक्रोशित लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प हुई। 15 अप्रैल को पूरा इलाका रणक्षेत्र में बदल गया। स्थानीय लोगों का आक्रोश थमा नहीं। छिटपुट घटनाएं होती रहीं। पुलिस ने इलाके में एक सप्ताह के लिए धारा 144 लगा दी। एक सप्ताह बाद 21 अप्रैल को राजबंशी समुदाय की लड़की का शव एक नहर से बरामद हुआ। पुलिस शव लेने आई तो आक्रोशित लोगों की पुलिस से फिर झड़प हो गई। स्थानीय लोगों ने यातायात को बाधित कर दिया।
पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया तथा आंसू गैस के गोले भी छोड़े। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया। इसी बीच, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 22 अप्रैल को ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया और मामले में पुलिस पर हीला-हवाली का आरोप लगाया। इस वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी पीड़िता के शव को सड़क पर घसीटते हुए दिख रहे थे। यह घटना 21 अप्रैल की है। उसी दिन बच्ची के शव को नहर से बरामद किया गया था।
प्रदर्शन के कारण यातायात ठप हो गया। इस दौरान शरारती तत्वों ने कुछ दुकानों में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव भी किया। पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया तथा आंसू गैस के गोले भी छोड़े। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया। इसी बीच, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 22 अप्रैल को ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया और मामले में पुलिस पर हीला-हवाली का आरोप लगाया। इस वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी पीड़िता के शव को सड़क पर घसीटते हुए दिख रहे थे। यह घटना 21 अप्रैल की है। उसी दिन बच्ची के शव को नहर से बरामद किया गया था। मृत बच्ची के साथ इस दुर्व्यवहार को देखकर स्थानीय लोगों के सब्र का बांध टूट गया। आक्रोशित लोगों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया जो घटना के एक हफ्ते से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जारी है।
पुलिस का कहना है कि नाबालिग की मौत जहर खाने से हुई। इसके बाद वनवासी और राजबंशी समुदाय के लोग फिर से भड़क गए और फिर से हिंसा शुरू हो गई। 25 अप्रैल को लोगों ने कालियागंज थाने पर प्रदर्शन किया। इसी समय मौके का फायदा उठाकर कुछ बदमाश थाने में घुस गए और वहां आग लगा दी। उन्होंने थाने पर पथराव भी किया और कुछ पुलिस वाहनों में भी आग लगाई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े।
उच्च न्यायालय में याचिका
रायगंज की पुलिस अधीक्षक सना अख्तर का कहना है कि बच्ची के शव का पोस्टमार्टम हुआ, लेकिन इसमें बलात्कार का उल्लेख नहीं है। पुलिस का कहना है कि नाबालिग की मौत जहर खाने से हुई। इसके बाद वनवासी और राजबंशी समुदाय के लोग फिर से भड़क गए और फिर से हिंसा शुरू हो गई। 25 अप्रैल को लोगों ने कालियागंज थाने पर प्रदर्शन किया। इसी समय मौके का फायदा उठाकर कुछ बदमाश थाने में घुस गए और वहां आग लगा दी। उन्होंने थाने पर पथराव भी किया और कुछ पुलिस वाहनों में भी आग लगाई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। थाने में हुई हिंसा में 16 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार किया है।
इससे पहले 16 अप्रैल को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार पीड़िता के घर जाकर उसके परिजनों से मिले और उन्हें हर संभव कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिया। उन्होंने पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस हत्या की इस घटना को आत्महत्या साबित करने पर तुली हुई है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। पीड़िता के पिता ने 26 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की है।
राजनीतिक गतिरोध
कालियागंज की घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे ‘प्रेम प्रसंग’ और ‘आत्महत्या’ का मामला बताते हुए हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही, आरोप लगाया कि भाजपा एक सोची-समझी साजिश के तहत बिहार से गुंडे बुलाकर कालियागंज में आतंक फैला रही है। कालियागंज थाने को जलाने के लिए बाहर से लोगों को लाया गया था। थाना जलाने वालों की संपत्ति जब्त की जाएगी, चाहे वे किसी भी दल के हों। मालदा स्कूल की घटना के लिए भी उन्होंने भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराया है। यही नहीं, वे मीडिया पर भी बरसीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम मीडिया को भी माफ नहीं करेंगे।’’ उनके बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद राज्य में बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। ऐसी घटनाओं पर वे मुंह बंद करके छिप जाती हैं। पूरा राज्य प्रशासन अभिषेक बनर्जी की नई पीढ़ी को सुरक्षित करने में जुटा हुआ है। अपराधी बच्चियों के साथ दुष्कर्म कर हत्या का साहस इसीलिए जुटा पा रहे हैं, क्योंकि प्रशासन इन्हें पूरी तरह से राजनीतिक लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा हालात को संभालने में मदद करने की बजाय उसे और बिगाड़ने की जुगत लगा रही है।
न्यायपूर्ण जांच सुनिश्चित कराना होगा। पुलिस जिस तरह से पीड़िता के शव को घसीट रही हैं, वह अस्वीकार्य है। इसके अलावा बच्ची के साथ हुई घटना भी बर्बरतापूर्ण है। सारे आरोपितों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना होगा। इसके अलावा जिन पुलिसकर्मियों ने बच्ची के शव को घसीटा है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। खबर लिखे जाने तक पुलिस महानिदेशक ने राष्ट्रीय महिला आयोग के पत्र का कोई उत्तर नहीं दिया है।
दो आयोगों में ठनी
इस मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में ठन गई है। 23 अप्रैल को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे। वे घटनास्थल का दौरा करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया। इस पर उन्होंने प्रशासन की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि एक अयोग्य प्रशासन अयोग्य मुख्यमंत्री की छवि बचाने का काम कर रहा है। बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में स्थानीय तृणमूल पंचायत प्रधान पर गंभीर आरोप है। उससे आज तक पूछताछ नहीं हुई है। उनके अनुसार, एक डीएसपी ने उन्हें बताया कि अतिरिक्त जिलाधिकारी ने उसे एनसीपीसीआर के प्रतिनिधियों से मिलने से मना किया है।
उधर, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुदेशना रॉय ने प्रियंक कानूनगो पर धारा 144 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इस पर पलटवार करते हुए कानूनगो ने कहा कि अयोग्य मुख्यमंत्री की छवि बचाने के लिए राज्य का अयोग्य आयोग काम कर रहा है। मैं उसके आरोप का कोई जवाब नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले उन्होंने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को बता दिया था कि मुलाकात करनी है, लेकिन किसी ने भेंट नहीं की। पुलिस इतनी लापरवाह है कि उसने पीड़ित परिवार का बयान तक नहीं लिया था। परिवार से बात किए बिना पुलिस कैसे किसी भी निष्कर्ष पर पहुंच सकती है, यह अपने आप में सवालों के घेरे में है।
शव घसीटने वाले पुलिसकर्मी निलंबित
चौतरफा आलोचना के बाद पीड़िता के शव को घसीटने वाले चार पुलिस अधिकारियों को 24 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया। आरोपी पुलिसकर्मी एएसआई स्तर के हैं। इनमें तीन कालियागंज थाने में और एक एएसआई रायगंज थाने में तैनात था। इसे लेकर महिला आयोग और शिशु अधिकार सुरक्षा आयोग ने पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी थी। तीन दिनों बाद इस पर कार्रवाई की गई।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने घटना का संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय से इस पर रिपोर्ट मांगी थी। इस बाबत डीजीपी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से पुलिस दुष्कर्म पीड़िता के शव को घसीटते हुए ले जा रही है। बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की शिकायत मिली है।
इस घटना पर आपको तीन दिन के भीतर महिला आयोग को रिपोर्ट देनी होगी। इसके अलावा खुद ही हस्तक्षेप कर इस मामले में न्यायपूर्ण जांच सुनिश्चित कराना होगा। पुलिस जिस तरह से पीड़िता के शव को घसीट रही हैं, वह अस्वीकार्य है। इसके अलावा बच्ची के साथ हुई घटना भी बर्बरतापूर्ण है। सारे आरोपितों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना होगा। इसके अलावा जिन पुलिसकर्मियों ने बच्ची के शव को घसीटा है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। खबर लिखे जाने तक पुलिस महानिदेशक ने राष्ट्रीय महिला आयोग के पत्र का कोई उत्तर नहीं दिया है।
बहरहाल, यह घटना ममता सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी कर चुकी है। नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या को लेकर पूरे इलाके में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। धारा 144 के बावजूद प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं राज्य की कानून-व्यवस्था की कलई खोल रही हैं।
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