शरद पवार के इस्तीफे के क्या थे बड़े कारण? कौन संभालेगा पार्टी की विरासत- अजित पवार या सुप्रिया सुले?

शरद पवार ने करीब 24 साल पहले (वर्ष 1999) एनसीपी का गठबंधन किया था। तब से यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में अपना स्थान बनाए रही।

Published by
WEB DESK

महाराष्ट्र की राजनीति मंगलवार को अचानक से गर्मा गई। राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनका ये फैसला अचानक से लिया गया लग सकता है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा कुछ और ही चल रही है। कहा जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी थी। रोटी पलटने वाले बयान के समय भी उन्होंने इसका संकेत दे दिया था। राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि उनके इस्तीफे के पीछे कई बड़े कारण थे।

एनसीपी में फूट का उजागर होना

शरद पवार ने करीब 24 साल पहले (वर्ष 1999) एनसीपी का गठबंधन किया था। तब से यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में अपना स्थान बनाए रही। शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर अलग राजनीतक दल का गठन किया था। 1967 में शरद पवार 27 साल की उम्र में बारामती से कांग्रेस के विधायक बने थे। वह कई सालों तक बारामती से चुनाव जीतते रहे। युवा मुख्यमंत्री भी बने। वर्ष 1999 में शरद पवार पर आरोप लगा कि वह सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। इसके बाद शरद पवार ने पीए संगमा के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। हालांकि उन्होंने भाजपा और शिवसेना को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस का समर्थन भी किया। करीब 24 साल की इस पार्टी में बगावत के सुर भी उठे। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी लाइन से हटकर भाजपा को समर्थन दिया। अजित पवार ने 2019 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाई। फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम बने। हालांकि शरद पवार के दबाव के बाद वह उन्हें वापस लौटना पड़ा और 100 घंटे भी पूरे नहीं हुए कि उन्हें डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन इस घटना से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फूट उजागर हो गई। यह भी कयास लगाए जाने लगे थे कि पार्टी को दो-फाड़ होने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। लेकिन शरद पवार ने पार्टी को जोड़ लिया।

सुप्रिया सुले बनाम अजित पवार

शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले वर्तमान में एनसीपी से सांसद हैं। एनसीपी अध्यक्ष पद के लिए वह दावेदार हैं। वहीं एक बड़ा गुट अजित पवार के साथ खड़ा है। वर्ष 2019 में इसके स्पष्ट संकेत मिल गए थे। हाल ही में अजित पवार का बगावती तेवर भी दिखा था। चर्चा यह थी कि वह देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ मिल सकते हैं। चर्चा थी कि अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के करीब 34 विधायकों के साथ मिलकर शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। यह भी कहा जा रहा था कि प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे का समर्थन उन्हें मिला हुआ है। चर्चा यह भी है कि अजित पवार को एनसीपी में साइड लाइन करने की कोशिश की जा रही थी। शायद यह भी एक वजह रही होगी कि जब शरद पवार ने इस्तीफे की घोषणा की तो उन्होंने इसका विरोध नहीं किया।

महाविकास अघाड़ी में मतभेद

शरद पवार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से ही की, लेकिन कांग्रेस से उन्हें अपमान का घूंट भी पीना पड़ा। इसके बावजूद वह 2019 में महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा बने। पिछले कुछ महीनों से उनकी कांग्रेस से दूरी बढ़ रही थी। शरद पवार मराठी अस्मिता से समझौता नहीं करना चाहते थे, जबकि कांग्रेस बार-बार वीर सावरकर का अपमान कर रही थी। शरद पवार ने वीर सावरकर को प्रगतिशील विचारों वाला बताया और कांग्रेस को भी नसीहत दी। अभी हाल ही में जयंती पाटील का बयान आया था। उन्होंने दावा किया था कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री एनसीपी से होगा। इस पर उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने कहा कि इसके लिए पहले हमें एक साथ आना होगा… फिर सत्ता आएगी और फिर महाविकास अघाडी की बैठक होगी। इस मुलाकात के बाद महाविकास अघाडी का जरूर मुख्यमंत्री होगा, इसमें कोई शक नहीं है। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना भी महाविकास अघाडी का ही फैसला था। भविष्य में भी इस तरह से फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हम भाषणों में ऐसे बयान देते हैं। जयंत पाटील ने अपनी पार्टी की बैठक में ऐसा बोलेंगे ही। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोई दिन में सपने देखना चाहता है तो उसे सपने देखने दो, हमारी कांग्रेस इस समय महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दे रही है। महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है।

मास्टर स्ट्रोक के जरिये एनसीपी में जान फूंकना

शरद पवार विरोधी राजनीतिक दलों को भी एक मंच पर लाने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन शिवसेना टूट चुकी है और महाविकास अघाड़ी में मतभेद उभर कर सामने आने लगे हैं। एनसीपी में भी गुटबाजी अब किसी से छिपी नहीं है। शरद पवार भी इस्तीफे के मास्टर स्ट्रोक के जरिये पार्टी को एकजुट करने और जान फूंकने की कोशिश की है।

नींव तो कमजोर हो ही जाती है

एनसीपी में शरद पवार का इस्तीफा अभी मंजूर नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगला अध्यक्ष समिति चुनेगी। यानी कि वह परिवारवाद की मुहर से बचना चाहते हैं। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि एक ईंट भी हिलने से घर की नींव कमजोर हो जाती है।

Share
Leave a Comment