एक बार फिर से सबकी निगाहें कल सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगी होंगी। दो मई को हल्द्वानी रेलवे जमीन पर अतिक्रमण मामले में सुनवाई होनी है। पिछली तारीख में सर्वोच्च न्यायालय ने आठ हफ्ते का समय सभी पक्षों को दिया था। खास तौर पर रेलवे को कल अपना पक्ष रखना है और राज्य सरकार को भी अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सकता है।
रेलवे भूमि अतिक्रमण पर हाई कोर्ट ने लंबी बहस के बाद दो हजार से ज्यादा परिवारों से जमीन खाली करने का फैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से अपनी जमीन, राज्य सरकार से अपनी जमीन और प्रभावितों को कानूनी रूप से पुनर्वास किए जाने संबंधी सवाल पूछते हुए आठ हफ्तों का समय दिया था। कल दो मई को इस बारे में आगे की सुनवाई होने जा रही है।
इस बीच उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने अल्पसंख्यक आयोग के कहने पर सुप्रीम कोर्ट में इस वाद में अपना पक्ष रखने के लिए वकील की नियुक्ति की है। इस बारे में अल्पसंख्यक आयोग का कहना है कि जहां अतिक्रमण बताया जा रहा है वहां मस्जिदें, मजारें और अन्य इस्लामिक मजहबी स्थल भी हैं, इसलिए उनके पक्ष की भी कोर्ट में पैरवी की जानी चाहिए।
रेलवे की जमीन अतिक्रमण मामले में राज्य सरकार भी इसलिए पक्ष बन गई है क्योंकि उनके सरकारी भवन भी इसकी जद में हैं। जिला प्रशासन के साथ मुख्य सचिव उत्तराखंड की कई बैठकें हो चुकी हैं और इस मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी को भी ब्रीफ किया गया है। सीएम धामी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट जो भी दिशा निर्देश देगा राज्य सरकार उसका शत प्रतिशत पालन करेगी।
बहरहाल सबकी निगाहें कल सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगी रहेंगी। यहां से बड़ी संख्या में वकील, अधिकारी और प्रभावित परिवारों के लोग, राजनीतिज्ञ भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं। कल कोर्ट का क्या रुख रहता है उसके बाद आगे की रणनीति प्रभावित पक्ष तय करेंगे।
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