‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी: लोक-तंत्र संवाद है : ‘मन की बात’
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी: लोक-तंत्र संवाद है : ‘मन की बात’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रतिमाह अंतिम रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम करते हैं, जिसका रेडियो पर प्रसारण होता है। इसकी पहली कड़ी 3 अक्तूबर, 2014 को प्रसारित हुई थी। 30 अप्रैल, 2023 को इसकी 100वीं कड़ी प्रसारित हुई

by राज कुमार सिंह
May 1, 2023, 01:18 pm IST
in भारत
प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

लोकतंत्र का आधार जिस लोक यानी जन साधारण को माना गया है, उसकी नियति तब बदलती है, जब वह शासक और शासन की चिंताओं-प्राथमिकताओं के केंद्र में होता है।

क्रिकेट की तरह राजनीति में भी कीर्तिमानों की कमी नहीं। हार का कीर्तिमान, जीत का कीर्तिमान; फर्श से अर्श और अर्श से फर्श के सफर का कीर्तिमान, पर ऐसे कीर्तिमानों से सिर्फ राजनीतिक दलों और नेताओं की नियति बदलती है, जनता की नहीं। लोकतंत्र का आधार जिस लोक यानी जन साधारण को माना गया है, उसकी नियति तब बदलती है, जब वह शासक और शासन की चिंताओं-प्राथमिकताओं के केंद्र में होता है।

यह तभी हो पाता है, जब तंत्र का नहीं, बल्कि शासन-शीर्ष पर आसीन व्यक्ति यानी शासक का जन साधारण से नियमित संपर्क-संवाद हो। जाहिर है, यह आसान नहीं। भारत सरीखे विशाल देश में तो यह और भी मुश्किल है। लेकिन जहां चाह, वहां राह। 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक सत्ता-परिवर्तन में जिस संवाद कला ने सबसे अहम् भूमिका निभायी थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे ही देशवासियों से संपर्क-संवाद का माध्यम बनाने का अनूठा प्रयोग किया। और उसी लोकतंत्र संवाद ‘मन की बात’ का शतक वह कीर्तिमान है, जिसकी मिसाल देश तो छोड़िए, पूरी दुनिया में नहीं मिलती।

‘मन की बात’ से मोदी ने साबित कर दिया है। भारतीय सत्ता-राजनीति में ‘मौन दशक’ के बाद मुखर संवाद-संपर्क का यह दौर एक नए भारत का ही एक और नया प्रतिमान है। अगर सार्वजनिक जीवन में हर संभव स्तर पर सहज-सरल सीधे संपर्क-संवाद का यह सकारात्मक प्रयोग होने लगे तो देश-समाज की तस्वीर और तकदीर भी, बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। यह तो पूरी दुनिया मानती है कि संवादहीनता से समस्याएं बढ़ती हैं, जबकि संवाद से समाधान की राह निकलती है।

2004-14 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के कार्यकाल के बाद कांग्रेस के विरुद्ध सत्ता विरोधी भावना स्वाभाविक ही थी, लेकिन शासन व्यवस्था में व्याप्त जड़ता से उपजी देशव्यापी निराशा का निराकरण तभी संभव था, जब कोई जनता को विश्वास दिला पाता कि यह दशा-दिशा बदली भी जा सकती है। स्वयं को भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने निराशा के उस कोहरे को छांटने का बीड़ा उठाया और देशभर में घूमते हुए विभिन्न मंचों से देशवासियों से तमाम ज्वलंत मुद्दों पर सीधा संवाद किया। संचार क्रांति के दौर में उपलब्ध तमाम संचार माध्यमों की शक्ति और पहुंच का भी उन्होंने इस मुहिम में पूरा उपयोग किया। और परिणाम चौंकाने वाले आए।

तीन दशक लंबे अंतराल के बाद देशवासियों ने 2014 में किसी एक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत दिया। हमारे देश में दलीय लोकतंत्र है। इसलिए स्वाभाविक ही जनादेश भाजपा और उसके मित्र दलों को मिला, पर इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि मतदाताओं ने विश्वास नरेंद्र मोदी के वायदों और विकास के गुजरात मॉडल पर जताया था। मेरा मानना है कि सबसे भारी बोझ उम्मीदों का होता है; उन्हें पूरी करने का होता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से गुजरात का मुख्यमंत्री, और फिर प्रधानमंत्री पद का सफर तय करने वाले मोदी से बेहतर यह कौन जान सकता है कि उम्मीदें जगाने में तो वक्त लगता है, लेकिन उन्हें धराशायी होने में देर नहीं लगती। इसलिए उन्होंने राजनीतिक-शासकीय तंत्र के साथ-साथ जनता से नियमित सीधे संपर्क-संवाद के माध्यम के रूप में ‘मन की बात’ शुरू की। 26 मई, 2014 को मोदी प्रधानमंत्री बने और तीन अक्तूबर, 2014 को उन्होंने आकाशवाणी के माध्यम से पहली बार देशवासियों से मन की बात की। उस दिन विजयादशमी थी। अपने स्वभाव के अनुसार मोदी ने विजयादशमी पर्व का मर्म याद दिलाते हुए ही बात शुरू की और गांधी जयंती को शुरू हुए स्वच्छता अभियान से लेकर स्वामी विवेकानंद द्वारा कभी सुनायी गयी कहानी के माध्यम तक पूरे संबोधन में राष्ट्र निर्माण में हर नागरिक की भागीदारी का आह्वान किया।

हर किसी के मन में प्रश्न उठा होगा कि संचार क्रांति के इस युग में जब संवाद के नवीनतम माध्यम उपलब्ध हैं, रेडियो का चुनाव क्यों? आखिर मोदी नवीनतम संचार माध्यमों पर भी विश्वभर में लोकप्रियता में अग्रणी ही हैं। प्रधानमंत्री ने इस प्रश्न का उत्तर भी अपने पहले संवाद में दे दिया कि रेडियो दूरदराज गांव में गरीब के घर में भी उपलब्ध है। यानी ‘मन की बात’ का मंतव्य दूरदराज गांव के गरीब से भी सीधा-सहज संवाद करना है। ‘मन की बात’ से रेडियो की न सिर्फ लोकप्रियता बढ़ी है, बल्कि उस दौरान महंगे विज्ञापनों से आकाशवाणी की आय में भी उछाल आया है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को भी आमंत्रित किया कि वे विभिन्न समस्याओं-विषयों पर अपने अनुभव-सुझाव साझा करें, ताकि यह संवाद अधिक से अधिक सार्थक बन सके। स्पष्ट है कि यह एकतरफा संवाद नहीं है।

तब से अब तक मोदी की ‘मन की बात’ का सफर शतक पूरा कर चुका है। दूरदर्शन के चैनल भी इसे प्रसारित करते हैं। इस बीच शायद ही कोई ऐसा विषय होगा, जिसे उन्होंने न छुआ हो। दूरदराज के क्षेत्रों में भी कहीं कोई ऐसी पहल हो, जो शेष देश के लिए प्रेरक बन सकती हो, उसका जिक्र करना प्रधानमंत्री नहीं भूलते। कई बार तो ऐसे प्रेरक नागरिकों से वे ‘मन की बात’ में संवाद भी करते हैं, जिसका प्रभाव बहुत गहरा होता है और दूरगामी भी। हालांकि नरेंद्र मोदी स्वयं को ‘प्रधान सेवक’ कहना पसंद करते हैं, पर हैं तो प्रधानमंत्री ही और वह भी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के। उनकी व्यस्तता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। उसके बावजूद उन्होंने हर महीने के अंतिम रविवार को सुबह 11 बजे रेडियो पर मन की बात का शतक पूरा कर लिया है।

लगभग दो वर्ष तक पूरी दुनिया कोरोना के आतंक के साये में रही, पर ‘मन की बात’ तब भी जारी रहा। यही नहीं, इस अज्ञात या अल्पज्ञात महामारी से भयाक्रांत देशवासियों का मनोबल बढ़ाने में भी मोदी ने ‘मन की बात’ का सकारात्मक उपयोग किया। इससे पता चलता है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। शायद ही विश्व के किसी और देश में किसी शासनाध्यक्ष द्वारा अपनी जनता से ऐसे नियमित सीधे संपर्क-संवाद की मिसाल मिले। राजनीति में संपर्क-संवाद कला का प्रभाव सभी जानते-मानते हैं। महात्मा गांधी इस संपर्क-संवाद के लिए पत्र लेखन का उपयोग करते थे। एक अनुमान के अनुसार उन्होंने एक लाख पत्र लिखे होंगे। गांधी जी ने एक दिन में अधिकतम 49 पत्र तक लिखे।

शासन कला में भी संपर्क-संवाद कला अत्यंत प्रभावी हो सकती है, इसे ‘मन की बात’ से मोदी ने साबित कर दिया है। भारतीय सत्ता-राजनीति में ‘मौन दशक’ के बाद मुखर संवाद-संपर्क का यह दौर एक नए भारत का ही एक और नया प्रतिमान है। अगर सार्वजनिक जीवन में हर संभव स्तर पर सहज-सरल सीधे संपर्क-संवाद का यह सकारात्मक प्रयोग होने लगे तो देश-समाज की तस्वीर और तकदीर भी, बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। यह तो पूरी दुनिया मानती है कि संवादहीनता से समस्याएं बढ़ती हैं, जबकि संवाद से समाधान की राह निकलती है।
लेखक- ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के संपादक रहे हैं

Topics: मन की बातChief Minister of GujaratMann Ki Baatdirect contact-interactionPrime Minister's OfficeVijayadashami festivalManmohan Singhलोकसभाराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघगुजरात का मुख्यमंत्रीRashtriya Swayamsevak Sanghप्रधानमंत्री पदप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीसीधे संपर्क-संवादPrime Minister Narendra Modiविजयादशमी पर्वमनमोहन सिंहLok Sabha
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मौत के बाद भी कई जिंदगियों को जीवन दे गई कुसुम

मणिपुर में सम्पन्न हुआ संघ शिक्षा वर्ग 2025 : 7 जिलों के 71 स्वयंसेवकों ने 15 दिनों तक लिया राष्ट्र सेवा का प्रशिक्षण

पुस्तक का लोकार्पण करते श्री मोहनराव भागवत। साथ में हैं (बाएं से) स्वामी विज्ञानानंद, प्रो. योगेश सिंह और स्वामी कृष्णशाह विद्यार्थी

‘आध्यात्मिक चेतना का सजीव रूप है धर्म’

मुसलमानों का एक वर्ग वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में

वक्फ संशोधन विधेयक : रसातल में कांग्रेस!

वन नेशन वन इलेक्शन पर सीएम धामी का बड़ा बयान, कहा- ‘यह सिर्फ सुधार नहीं, देशहित में क्रांति है’

अभियान के दौरान पौधारोपण करते कार्यकर्ता

किशनगंज में पर्यावरण रक्षा अभियान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies