इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र (दिल्ली) निरंतर ‘भारत मंथन’ संगोष्ठी का आयोजन करता आया है। इसी श्रृंखला में 29 अप्रैल 2023 को ‘वैश्विक परिदृश्य में वर्तमान भारत’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई।
यह संगोष्ठी इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र (दिल्ली), एनसीवेब (दिल्ली विश्वविद्यालय), संस्कृत एवं प्राचीन विद्या अध्ययन संस्थान (जेएनयू) और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (मेरठ) के संयुक्त तत्त्वावधान में संपन्न हुई। यह संगोष्ठी चार चरणों में विभाजित थी।
प्रथम चरण का आरंभ माँ सरस्वती की अर्चना से हुआ। इसमें कुलानुशासक (दिल्ली विश्वविद्यालय) प्रो. रजनी अब्बी, एनसीवेब की निदेशिका प्रो. गीता भट्ट, उत्तर क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) अजेय कुमार, इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र प्रमुख विनोद शर्मा ‘विवेक’ की गरिमामयी उपस्थिति रही।
सभी ने विश्व में भारत की सशक्त भूमिका के विषय में बात की। प्रो. रजनी अब्बी ने भारत की ‘बेगिंग बैग’ से मुक्ति को भारत का नया रूप बताया तो प्रो. गीता भट्ट ने भारत को ‘एल्डर ब्रदर’ बताया। अजय जी ने ‘वयम् सुपुत्रा अमृतस्य’ को उद्धृत करते हुए सनातन दृष्टि की बात की। विवेक जी ने कहा सद्विचारों की शक्ति से भारत मंथन प्रेरित है।
दो समानांतर सत्रों में कुल 282 पर पत्र पढ़े गए। समापन सत्र में भारतीय जनसंचार महानिदेशक, प्रो. संजय द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार एवं भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ल, किरोड़ीमल कॉलेज भौतिकी विभाग के प्रो. राकेश पांडेय जी की गरिमामय उपस्थिति रही।
भारत मंथन 2022 के चयनित शोध प्रपत्र की पुस्तक ‘भारत ज्ञान-विज्ञान परंपरा मानव दृष्टि’ का विमोचन किया गया। प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीयों का रिप्लेसमेण्ट भारतीय हैं। भारत का भारत से परिचय कराना होगा। प्रेम शुक्ल जी ने कहा बाइडेन से लेकर जेलेंस्की तक सभी भारत की सशक्त भूमिका को स्वीकार कर रहे हैं। प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का अंत कल्याण मंत्र से हुआ।
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