ईरान में इन दिनों अनिवार्य हिजाब से आगे बढ़कर बात कहीं न कहीं वहां पर पहुँच गयी है, जहाँ पर लड़कियों के अस्तित्व पर ही प्रश्न उठाए जा रहे हैं। जहां पर बहुत कुछ ऐसा किया जा रहा है कि वह सामाजिक परिदृश्य से ही गायब हो जाएं। क्या किसी भी देश में ऐसी कल्पना की जा सकती है कि वहां की बच्चियां स्कूल में पढने ही न जा पाएं और यदि वह जाती हैं तो उन्हें रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। उन प्रयासों में यह भी है कि उन पर रसायनिक हमले कराए जाएं?
उन्हें स्कूल आने से भी रोका जाए! स्कूल में पढने वाली अधिकतर लड़कियां हिजाब में हैं, वह काले बुर्के में हैं, मगर फिर भी लड़कियों पर रसायनिक हमले हो रहे हैं, उन्हें जहर दिया जा रहा है। कहीं न कहीं यह उन तमाम लड़कियों को डराने की साज़िश है, जो अनिवार्य हिजाब का विरोध कर रही हैं
Again Iranians are witnessing series of chemical attacks taking place across Iran where students are being poisoned. This is a revenge by the Islamic Republic to push girls back from the street protests. The world should hear the voice of Iranian girls and not leave them alone. pic.twitter.com/S0eyAS34Pl
— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) April 24, 2023
ये सभी हमले आज के नहीं हैं। यह हमले गत वर्ष नवम्बर में कोम शहर से आरम्भ हुए थे और देखते ही देखते यह बढ़ते जा रहे हैं। अभिभावक परेशान हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता है कि उनकी बेटियाँ स्कूल तो जाएँगी, मगर वापस किस स्थिति में आएंगी। वाशिंगटन पोस्ट में एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में कहा कि “अभिभावक बहुत डरे हुए हैं और उनमें से कई लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।”
यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि ईरान में महिला अधिकारों को लेकर जो आन्दोलन चल रहे हैं, उन्हें कठोरता से कुचलने की बात ईरान की खमैनी सरकार बार-बार कह चुकी है और जिनमें महिलाओं की सार्वजनिक निंदा, अपमान से लेकर जेल तक भेजना तो सम्मिलित था ही, अब यह भी सामने आ रहा है कि बच्चियों पर रसायनिक हमले कराए जा रहे हैं।
और ऐसा भी नहीं कि एक स्कूल में हो रहे हैं, यह कई स्कूलों में हो रहे हैं। एक यूजर ने ईरान के कई उन शहरों का नाम बताते हुए लिखा कि कैसे ईरान में हमले हो रहे हैं। 24 अप्रेल के ट्वीट में स्कूलों के नाम हैं, इस्मत, मेराज, मेदेह, मास्तोरेह अर्दलान, नासिबेह गर्ल्स स्कूल!
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और किसलिए हो रहा है? यह न ही समझ से परे है और न ही लोगों की जानकारी से परे, परन्तु सहज रूप से आवाजें इस अन्याय और महिलाओं के प्रति इस सुनियोजित उत्पीडन पर नहीं उठ रही हैं।
एक दो नहीं बल्कि अनगिनत बालिका स्कूलों पर हमले हो रहे हैं। 19 अप्रेल को ईरान के बुकान शहर में केमिकल हमले के बाद कई छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और यूजर्स ने यह भी दावे किए कि स्वास्थ्यकर्मियों को इस बात पर चुप्पी धारण करने के लिए भी कहा।
Here you can read more :
'After a chemical attack on 5 girls’ schools in Iran’s Bukan city yesterday, many schoolgirls were hospitalized. Healthcare workers & school administrators have been warned to keep silent about poisonings at schools.'https://t.co/F1PaozCvcq
— Kongra Star Women's Movement Rojava (@starrcongress) April 19, 2023
19 अप्रेल को ही तेहरान पारस ओम्मत गर्ल्स हाई स्कूल को दूसरी बार केमिकल हमले का निशाना बनाया गया था। 26 अप्रेल को मशहद में मेहदीज़देनिया गर्ल्स कंज़र्वेटरी को भी केमिकल हमने का निशाना बनाया गया। छात्राएं बीमार हो गईं थीं और सहायता के लिए इमरजेंसी सेवाओं को बुलाना पड़ा।
#Iran #Khorasan
❗️ There was a #chemical attack on Mehdizadenia Girls' Conservatory in #Mashhad. The students are sick and emergency services have been called for assistance.Wednesday, April 26, 2023#Kolbarnews#JinaAmini#MahsaAmini #protest pic.twitter.com/ced8xqwo9Z
— Kolbarnews English (@Kolbarnews_En) April 26, 2023
यह बहुत ही अजीब परिदृश्य है कि बहनापे का गाना गानी हुई तमाम फेमिनिस्ट इस समय ईरान में बच्चियों के साथ हो रहे इतने बड़े षड्यंत्र पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह चुप्पी क्यों है? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है। जबकि ईरान में जो यह लड़कियों के प्रति हमले हो रहे हैं, वही तो असली अत्याचार है, असली शोषण है, जब उन्हें स्कूल तक आने से रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएं।
मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले ईरानह्यूमेनराइट्स ऑर्गनाइज़ेशन ने लभी ट्वीट किया कि ज्यादा से ज्यादा लड़कियां इस केमिकल हिंसा का शिकार हो रही हैं और अधिकारी भी यह रोकने के लिए बहुत कुछ कदम नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने करज, एल्बोर्ज़ क्षेत्र का वीडियो साझा किया
As more and more girls' schools in Iran report chemical attacks, authorities are refusing to do anything to stop them.
This clip shows the aftermath of a reported attack at the Rezvan school for girls in Karaj, Alborz province. #IranChemicalAttacks pic.twitter.com/j5ruAcwrwJ
— Center for Human Rights in Iran (@ICHRI) April 19, 2023
अब इन तमाम घटनाओं पर यदि बात भारत की करें तो क्या यह कल्पना भी कर सकते हैं कि वह वर्ग जो अमेरिका में ब्लैकलाइवमैटर्स की घटनाओं पर भारत में लगातार आन्दोलन कर सकता है, सोशल मीडिया पर लिख सकता है और यहाँ तक कि भारत में भी ऐसा हो वह कल्पना कर सकता है, मगर वही कथित प्रगतिशील वर्ग ईरान में मजहबी कट्टरता के नीचे लगातार शिकार होती उन मासूम लड़कियों पर क्यों नहीं बोल रहा है, एक बहुत बड़ा प्रश्न यह है?
क्या कथित प्रगतिशील साहित्यकारों के जो महिला अधिकारों के सिद्धांत हैं, वह मात्र तभी के लिए जब उन्हें भारत में क़ानून एवं व्यवस्था तोडनी हो या फिर जब एजेंडा चलाना हो। जैसा बार-बार कहा गया है कि उनका जो उद्देश्य है वह बहुत अलग है। वामपंथ का यह सिद्धांत होता है कि वह वर्ग संघर्ष उत्पन्न करता है, और फिर जिस भी राह पर उसे वैचारिक वर्चस्व की बात लगती है, वहां पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेता है, फिर उसके लिए उअर कुछ भी क्यों न करना पड़े।
वह ईरान में ईरानी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर मौन रहते हैं, वह पाकिस्तान में हिन्दू महिलाओं के साथ हो रहे दुएव्यवहार पर मौन रहते है और साथ ही वह मौन रहते हैं, जब भारत की आत्मा को प्रताड़ित करने का विमर्श बनता ही नहीं बल्कि फलताफूलता भी है।
भारत का लेफ्ट लिबरल वर्ग दरअसल ईरान की उन लड़कियों पर मौन है, क्योंकि वह यहाँ पर मुस्लिम लड़कियों के लिए अनिवार्य हिजाब की मुहिम का सक्रिय हिस्सा बना हुआ है। उसके लिए यह पहचान का प्रश्न और मजहबी आजादी की बात है और जब सरकार यहाँ पर एक समानता लाकर स्कूलों में सब बच्चों की एक पहचान रखना चाहती है तो यहाँ का लिबरल वर्ग इसे शोषण बताता है, अत्याचार बताता है और तमाम कहानियाँ और तर्क गढ़ता है, एवं वहीं वास्तविक शोषण पर आँखें मूंदकर कहीं न कहीं समर्थन भी करता है।
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