कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने अपने बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा-‘लॉन्ग लीव सुप्रीम कोर्ट’। मीडिया से बातचीत में उन्होंने अफसोस जताया। बोले-‘अब शायद नौकरी चाहने वाले उम्मीदवारों को जीवन भर इंतजार करना पड़े।’
जस्टिस गांगुली ने शुक्रवार को कहा था कि वह आधी रात तक कोर्ट में रुक सकते हैं जब तक कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाथ में न आए। रात करीब 9:45 बजे फैसले की प्रति जस्टिस गांगुली के हाथ में आई। इसके बाद वह घर निकले। यहां इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों से उन्होंने बात की।
जस्टिस गांगुली ने कहा-‘हम न्यायिक अनुशासन से बंधे हैं। हमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना होगा, जिन लोगों को नियुक्तियां नहीं मिलीं, वे थोड़ा दुखी हो सकते हैं, लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इन मामलों में उनका ‘कोई व्यक्तिगत हित नहीं था’ और ‘न ही कोई राजनीतिक दबाव’ था। इन मामलों को अगर उन्हें बाद में फिर से सौंपा जाता है, तो वे उसी तरह सुनेंगे जैसे उन्होंने पहले सुना था।’
जस्टिस गांगुली ने कहा- ‘पिछले छह महीनों में मैंने जो किया है, उसे पूरा होने में 60 साल लगते हैं, तो कहने के लिए कुछ भी नहीं है। ‘नौकरी चाहने वालों के लिए नायक’ कहे जाने पर न्यायमूर्ति गांगुली ने टिप्पणी की कि आज (नायक की) मृत्यु हो गई है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह ‘जिम्मेदारियों से भागने’ वालों में से नहीं हैं और अगले सप्ताह से काम जारी रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष रखी गई मूल रिपोर्ट आधीरात तक देने का निर्देश दिया था। जस्टिस गांगुली ने शुक्रवार दोपहर कहा था- ‘मैं आधी रात तक अपने कक्ष में रहूंगा। मैं सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए गए दस्तावेजों पर एक नजर डालना चाहता हूं।’
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