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‘रंगाली बिहू : अविस्मरणीय, अद्भुत, अभूतपूर्व’

गुवाहाटी के सोरुसजाई स्टेडियम में उमड़े जनसमुद्र को देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभिभूत हो गये। उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के साथ पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाते हुए लोगों का अभिवादन स्वीकार किया

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 28, 2023, 08:52 am IST
in भारत, असम, संस्कृति, आजादी का अमृत महोत्सव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में असम जिस तरह से आगे बढ़ा है, उससे आज सच में असम ए-वन प्रदेश बन गया है। जो उत्सव हम मना रहे हैं, वह एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि असम के लोग अपनी संस्कृति को संजोकर, संभालकर रखे हुए हैं।

गुवाहाटी के सोरुसजाई स्टेडियम में उमड़े जनसमुद्र को देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभिभूत हो गये। उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के साथ पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाते हुए लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए असमिया में रंगाली बिहू की शुभकामनाएं दीं -मोय ओहमबाखिक, रोंगाली बीहूर, होभेच्छा जोनाइसू, एई होभा मोहोर्टत, आपोना-लुकोलोई, आन्तोरिक ओभिनन्दन ज्ञापन कोरीसू (मैं असमवासियों को, रंगाली बिहू की शुभकामनाएं देता हूं, इस मौके पर आप लोगों का आंतरिक अभिनंदन करता हूं)।

असम के विकास पर ध्यान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। बीते कुछ वर्षों में असम के विकास के लिए प्रारंभ एवं पूर्ण परियोजनाओं में कुछ प्रमुख निम्न हैं :

  •  चांगसारी, गुवाहाटी में 1123 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एम्स) राष्ट्र को समर्पित
  •  1.1 करोड़ आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई कार्डों के वितरण का शुभारंभ
  •  नलबाड़ी (615.47 रुपये), नगांव (599.80 रुपये) एवं कोकराझार (535.87 करोड़ रुपये) में नवनिर्मित तीन मेडिकल कालेज एंड अस्पतालों का उद्घाटन
  •  आईआईटी गुवाहाटी परिसर में 546 करोड़ रुपये की लागत के असम एडवांस्ड हेल्थकेयर इनोवेशन इंस्टीट्यूट की आधारशिला
  •  ऊपरी असम के नामरूप में 1,603 करोड़ रुपये की लागत का प्रतिदिन 500 टन मेथनॉल उत्पादन क्षमता के प्लांट का शुभारंभ
  •  ब्रह्मपुत्र नद पर 3,200 करोड़ रुपये की लागत से 12.21 किमी लंबी चार लेन पलाशबाड़ी-सुआलकुची सेतु प्रोजेक्ट की आधारशिला
  •  ऊपरी असम के शिवसागर जिला स्थित ऐतिहासिक रंग घर परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए 124 करोड़ रुपये लागत की परियोजना की आधारशिला
  •  7,280 करोड़ रुपये की लागत से तैयार रेलवे की पांच परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज के दृश्य को जिसने टीवी पर देखा हो, यहां कार्यक्रम में प्रत्यक्ष देखा हो, जीवन में कभी भी इसे भूल नहीं सकता। यह अविस्मरणीय है, अद्भुत है, अभूतपूर्व है, यह असम है। आसमान में गूंजती ढोल, पेपा ओर गॉगोना की आवाज को आज पूरा हिन्दुस्थान सुन रहा है। असम के हजारों कलाकारों की यह मेहनत, यह परिश्रम, यह तालमेल, आज देश और दुनिया बड़े गर्व के साथ देख रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में असम जिस तरह से आगे बढ़ा है, उससे आज सच में असम ए-वन प्रदेश बन गया है। जो उत्सव हम मना रहे हैं, वह एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि असम के लोग अपनी संस्कृति को संजोकर, संभालकर रखे हुए हैं। हमारे ये त्योहार सिर्फ संस्कृति का उत्सव मात्र नहीं हैं, बल्कि ये सबको जोड़ने, मिलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी हैं। रंगाली बिहू-बोहाग बिहू की यही शाश्वत भावना है। यही भाव, बहनों-बेटियों के बालों में सजे कोपोफूल से होता है, मोगा सिल्क, मेखेला चादर आरू रोंगा रिहा से मिलता है। उन्होंने बड़े-बड़े लक्ष्य को तय करने का आधार 140 करोड़ देशवासियों के प्यार को बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में तेजी से उभरता पर्यटन उद्योग आर्थिक ढांचे को मजबूत बना रहा है। इस क्षेत्र में रेल-रोड और हवाई मार्ग की कनेक्टिविटी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में पूर्वोत्तर के ज्यादातर गांवों में ‘आल वेदर रोड’ बन गई हैं। 9 वर्षों में कई नए हवाई अड्डे बने हैं, ब्रॉड गेज ट्रेनों की पहुंच मणिपुर और त्रिपुरा तक हो गई है। आज पूर्वोत्तर में पहले के मुकाबले, तीन गुना तेजी से नई रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं जबकि करीब 10 गुना तेजी से रेल लाइनों का दोहरीकरण हो रहा है।

पूर्वोत्तर के विकास की गाथा

  •  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ साल में क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में पूर्वोत्तर के विकास के लिए तकरीबन एक हजार से ज्यादा मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया है और इनमें से 93 प्रतिशत का समाधान भी हुआ है। स्वयं प्रधानमंत्री पिछले 8 वर्षों में 50 से भी ज्यादा बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। 
  •  केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग की शेष अवधि (साल 2022-23 से 2025-26 तक) के लिए कुल 12,882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तंभों, अर्थात् अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग को इसके जरिये बढ़ावा मिलेगा। 
  •  पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के लिए विभिन्न मंत्रालयों की परियोजनाओं पर 12,882 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इसके तहत पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे, हवाई कनेक्टिविटी, सड़क निर्माण, कृषि और टूरिज्म की 202 से अधिक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 
  •  कृषि व पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए टास्क फोर्स का गठन। 2014 से, इस क्षेत्र के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि आवंटित की गई है। 
  •  गति शक्ति योजना से पूर्वोत्तर के विकास को गति मिली है। रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 2014 से अब तक 51,019 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। 77,930 करोड़ रुपये की 19 नई परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। वहीं सड़क संपर्क में सुधार के लिए, 1.05 लाख करोड़ रुपये की 375 परियोजनाएं का काम चल रहा है। सरकार अगले तीन साल में 209 परियोजनाओं के तहत 9,476 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार 1,06,004 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। 
  •  पिछले आठ वर्षों में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत, सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाओं में 60 प्रतिशत और नागरिकों की मौत में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है। विद्रोही गुटों से जुड़े रहे लगभग 8,000 युवा आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गये हैं। 
  •  2019 में त्रिपुरा के राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चे, 2020 में बीआरयू और बोडो समझौते और 2021 में कार्बी समझौते पर सहमति बनी। असम-मेघालय और असम-अरुणाचल सीमा विवाद भी लगभग समाप्त हो चुके हैं और शांति बहाली के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के पथ पर अग्रसर हो गया है। 
  •  पूर्वोत्तर में 19 राज्य कैंसर संस्थान और 20 तृतीयक स्तर की देखभाल वाले कैंसर केंद्र स्वीकृत किये गये हैं।
    ल्ल बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है। 2014-15 से, सरकार ने 37,092 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं, जिनमें से अब तक 10,003 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं।
  •  2014 से अब तक, सरकार ने पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 14,009 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। उच्च शिक्षा के लिए, 191 नये संस्थान स्थापित किये गये हैं। स्थापित विश्वविद्यालयों की संख्या में 2014 से 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014-15 से उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  •  2014 से पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल 1 राष्ट्रीय जलमार्ग था। अब पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जलमार्ग 2 और राष्ट्रीय जलमार्ग 16 के विकास के लिए 6000 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं।
  •  दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए, 2014 से, 10 प्रतिशत जीबीएस के तहत 3,466 करोड़ रुपये व्यय किये गये हैं। कैबिनेट ने पूर्वोत्तर के 4,525 गांवों में 4जी कनेक्टिविटी को भी मंजूरी दी है।

प्रधानमंत्री ने असम और पूर्वोत्तर में पिछले 9 वर्षों में कनेक्टिविटी को लेकर पुरानी सोच को बदलते हुए चार दिशाओं में एक साथ काम करने वाला महायज्ञ होने की बात कही जिसमें फिजिकल कनेक्टिविटी, डिजिटल कनेक्टिविटी, सोशल कनेक्टिविटी और कल्चरल कनेक्टिविटी शामिल हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि असम के महान योद्धा लाचित बोरफुकन की 400वीं जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया। साथ ही मोगा सिल्क, तेजपुर की लीची, जोहा चावल, बोका चावल, कागजी निंबू जैसे अनेक उत्पादों के बाद हमारेगोमोछा को भी जीआई टैग मिलना असम के लिए बड़ी उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में तेजी से उभरता पर्यटन उद्योग आर्थिक ढांचे को मजबूत बना रहा है। इस क्षेत्र में रेल-रोड और हवाई मार्ग की कनेक्टिविटी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में पूर्वोत्तर के ज्यादातर गांवों में ‘आल वेदर रोड’ बन गई हैं। 9 वर्षों में कई नए हवाई अड्डे बने हैं, ब्रॉड गेज ट्रेनों की पहुंच मणिपुर और त्रिपुरा तक हो गई है।

आज पूर्वोत्तर में पहले के मुकाबले, तीन गुना तेजी से नई रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं जबकि करीब 10 गुना तेजी से रेल लाइनों का दोहरीकरण हो रहा है। ब्रह्मपुत्र पर सेतुओं का जो नेटवर्क पिछले 9 वर्षों में तैयार हुआ है, उसका भरपूर लाभ आज असम को मिल रहा है। 9 वर्षों में ‘डबल इंजन’ की सरकार ने जिस तरह सोशल कनेक्टिविटी पर काम किया है, उसने करोड़ों लोगों का जीवन आसान बनाया है। पूर्वोत्तर में अविश्वास का माहौल दूर हो रहा है, दिलों की दूरी मिट रही है। आजादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए हमें इसी माहौल को और आगे बढ़ाना है, दूर तक लेकर जाना है।

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