बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी दिवंगत जी. कृष्णैया की पत्नी और बेटी ने बाहुबली एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का कड़ा विरोध किया है। बेटी पद्मा ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से हमें बहुत दुख हुआ है। नीतीश सरकार को इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। उन्होंने गलत मिसाल कायम की है। पत्नी उमा देवी ने इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है, साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आनंद मोहन को वापस जेल भेजने की अपील की है।
उमा देवी ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा। किसी भी अधिकारी का मन काम करने में नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि जनता के विरोध के बावजूद आनंद मोहन की रिहाई कर दी गई। कानून के तहत वह जेल में गए थे तो फिर कानून के तहत रिहा कैसे हो गए? राजनीतिक मुद्दे के कारण उनकी रिहाई हुई है। उन्होंने बिहार की जनता से अनुरोध किया कि वह चुनाव लड़ने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति को कभी वोट न दे।
हैदराबाद के एक सरकारी डिग्री कॉलेज में लेक्चरर पद से वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुईं उमा देवी ने कहा, ‘‘मेर साथ घोर अन्याय हुआ है। मैं पीड़ित थी। अब और भी पीड़ित हूं। मेरी दो बेटियों को अकेले पालना दर्दनाक था। त्रासदी के समय मेरी छोटी बेटी बहुत छोटी थी कि उसे अपने पिता का चेहरा तक याद नहीं है। मेरी बड़ी बेटी को अपने पिता के बारे में कुछ बातें याद हैं। मेरी दोनों बेटियों की अब शादी हो चुकी है।‘‘
उमा देवी के मुताबिक जब जिलाधिकारी कृष्णैया की हत्या हुई थी, उसके बाद बिहार सरकार ने उन्हें सेकेंड ग्रेड की नौकरी का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने अपने घर वापस आना मुनासिब समझा। उन्होंने कहा कि न्याय के लिए अब उन्हें आईएएस एसोसिएशन और जी. कृष्णैया के बैचमेट से कुछ उम्मीदें हैं।
तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले कृष्णैया वर्ष 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की 05 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में आनंद मोहन को निचली अदालत ने फांसी का सजा सुनाई थी, लेकिन पटना हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद में बदल दिया था।
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