देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद का शिकार हो चुकी है। देहरादून शहर में 53 मजारें देखने में आयी हैं। जिसके बाद हर कोई ये सवाल करने में लगा है कि आखिर वे कौन से फकीर या सूफी थे जिन्हें यहां दफनाया गया? क्या इन सूफियों और फकीरों की इतनी संख्या थी?
उत्तराखंड में मजार जिहाद को खबरें सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजार जिहाद के षड्यंत्र को समझते हुए सरकारी भूमि से अवैध मजहबी अतिक्रमण यानि मजारों को साफ करने के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू करवा दी है। वन विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई सैकड़ों मजारें ध्वस्त कर दी गई हैं। खास बात ये है कि इन मजारों के भीतर कोई भी मानव या अन्य अवशेष नहीं निकला। यह मजार जिहाद के षड्यंत्र को साबित करता है।
अब बात करें देहरादून की तो नगर निगम क्षेत्र में 53 मजारों का पता चला है, जिन्हें प्रशासन ने चिन्हित किया है। इनमें कुछ मजारे तो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर हैं।
जैसे एक मजार तो दून अस्पताल के भीतर बनी हुई है। एक मजार भारतीय वन सर्वेक्षण परिसर में बनी हुई है। एक मजार एमडीडीए घंटाघर परिसर के भीतर बनी हुई है। एक मजार नए सेलटैक्स दफ्तर के पास बनी हुई है, रेलवे स्टेशन के पास, आईएसबीटी के पास मजारें आखिर कैसे और क्यों बना दी गईं? इस बारे में राजधानी देहरादून का शासन-प्रशासन आखिर क्यों अनदेखी करता रहा?
ये बात भी सामने आई है कि पूर्व में हिंदू संगठन इन मामलों पर सरकारों को लगातार ज्ञापन भी देते रहे कि इन मजारों के जरिए अंधविश्वास का बाजार पनप रहा है और हिंदू समाज के लोग यहां ठगे जा रहे हैं। किंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान में धामी सरकार ने मजार जिहाद के खिलाफ अभियान सा छेड़ दिया है। इसके बाद ये उम्मीद जगी है कि सरकार इन अवैध मजारों को ध्वस्त करेगी।
वीर सावरकर संगठन के प्रमुख कुलदीप स्वेडिया का कहना है कि राजधानी देहरादून जो कभी गुरु राम राय के डेरा ए दून के नाम से धार्मिक नगरी मानी जाती थी वो अब मजार नगरी के रूप में तब्दील हो रही है। ये मजार जिहाद है और एक षड्यंत्र के तहत ऐसा हो रहा है, जिसे धामी सरकार को रोकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देहरादून क्षेत्र में औसतन हर पांच सौ मीटर पर एक मजार बना दी गई है, बेशकीमती जमीन इन्होंने कब्जा ली है। उन्होंने कहा कि खेद की बात ये भी है एक घर में एक हिंदू परिवार ने मजार बनाकर झाड़ फूंक का धंधा शुरू कर दिया है, जबकि इसके लिए उनके पास डीएम या प्राधिकरण की अनुमति तक नहीं है। मजार जिहाद का पाखंड बंद होना चाहिए। इन मजारों को ध्वस्त किया जाना चाहिए।
टिप्पणियाँ