बिहार के बाहुबली डॉन आनंद मोहन को आज तड़के सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया है। उनकी रिहाई का हर तरफ विरोध हो रहा है। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया के परिवार समेत आईएएस एसोसिएशन ने बिहार सरकार और सीएम नीतीश कुमार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपली की है। जी. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने इसे गलत निर्णय बताया है।
बतादें कि 1994 में ऑन ड्यूटी डीएम जी. कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी। दलित समुदाय से आने वाले डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में कोर्ट ने आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 16 साल जेल में सजा काटने के बाद आनंद मोहन आज जेल से बाहर आ गए। बिहार सरकार ने कानून में संशोधन करते हुए उनकी रिहाई का रास्ता आसान किया है। आनंद मोहन की रिहाई के लिए कारा नियम बदलने के नीतीश सरकार के फैसले का जी. कृष्णैया के परिवार ने विरोध करते हुए कहा कि आनंद मोहन का रिहा होना दुख की बात है।
दिवंगत डीएम जी. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा कि आनंद मोहन का जेल से बाहर आना दुख की बता है। उन्होंने बिहार सरकार के इस फैसले को गलत ठहराया है। दिवंगत डीएम की बेटी ने सरकार को फिर से फैसले पर विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मैं नीतीश कुमार से अनुरोध करती हूं, कि वो एक बार फिर से विचार करें। सरकार द्वारा ये गलत मिसाल कायम की गई है। आनंद मोहन की रिहाई देश के लिए न्याय नहीं है।
वहीं जी. कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी सीएम से अपील कि है, कि आनंद मोहन को वापस जेल भेजा जाए। उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ये गलत फैसला लिया गया है, इसका विरोध जनता भी करेगी। दिवंगत डीएम की पत्नी उमा ने कहा कि आनंद मोहन के चुनाव लड़ने पर जनता को उनका समर्थन नहीं करना चाहिए, बल्कि उनका बहिष्कार करना चाहिए। वहीं बिहार सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से सभी आईएएस और आईपीएस ने निराश जताई हैं।
वहीं आनंद मोहन की इस तरह रिहाई पर लोजपा के चिराग पासवान ने भी विरोध जताया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह राजनीतिक फायदे के लिए कानून का दुरुपयोग हो रहा है। व्यक्ति विशेष के लिए कानून में अनायास किया गया यह बदलाव जातीय आधार पर बांटने की साजिश को दिखाता है। उन्होंने कहा कि बिहार में एक जिम्मेदार डीएम की हत्या हुई है, जिसके दोषियों को कानून में फेरबदलकर इस तरह से रिहा कराना किसी तरह से सही नहीं है। राज्यसरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा से विचार करने की आवश्यकता है।
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