रूस के यूक्रेन पर हमला बोले सवा साल होने को आया, लेकिन इसके थमने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। यूक्रेन के एक के बाद एक शहर ध्वस्त होते जा रहे हैं, लेकिन पश्चिमी ताकतों, विशेषकर अमेरिका के यूक्रेन को ‘समर्थन’ देने से लड़ाई अपेक्षा से कहीं ज्यादा लंबी खिंच चुकी है। ऐसे में रूस के अपने अलग दावे हैं। अमेरिका और उसमें छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। रूस ने अब नए सिरे से अमेरिका और पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे परमाणु युद्ध की आशंका पैदा कर रहे हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में दोनों ही देशों का बड़ा भारी नुकसान हो चुका है। लेकिन अब रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को उद्धृत करते हुए कहा है कि रूस तथा अमेरिका दोनों ही देश परमाणु शक्ति से संपन्न हैं। ऐसे में जिस तरह के हालात हैं उसे देखते हुए इन दोनों देशों के बीच अगर सीधी फौजी टक्कर होती है तो परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो जाएगा।
रूस के विदेश मंत्रालय के ये वरिष्ठ राजनयिक हैं परमाणु विभाग के प्रमुख व्लादिमीर एर्मकोव। उन्होंने तास को कल एक बातचीत में बताया है कि रूस के साथ अमेरिका जिस तरह से पेश आ रहा है उसकी वजह से परमाणु युद्ध होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
एर्मकोव ने स्वीकारा कि आज अगर कोई सबसे अहम खतरा है, तो वह है दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में आमने—सामने टकराव होना। यही वजह से है कि अमेरिका की ‘थानेदारी’ ऐसे ही चलती रही तो परमाणु युद्ध का खतरा कहीं वास्तविक हो सकता है।
दरअसल यह पहली बार नहीं है कि रूस ने परमाणु युद्ध की आशंका के पीछे अमेरिका अथवा पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है। लेकिन इस बार व्लादिमीर एर्मकोव का होशियार करते हुए यह कहना कि यदि अमेरिका ने रूस के साथ कैसा भी टकराव बनाए रखा तो परमाणु युद्ध के संदर्भ में उसके गंभीर परिणाम होंगे।
उल्लेखनीय है कि अभी मार्च में रूस की सेना द्वारा परमाणु हमले की धमकी देने के बाद अमेरिका ने कहा था कि वह अपने परमाणु डाटा से संबंधित जानकारी करार के नियमों के तहत उपलब्ध नहीं कराएगा। रूस परमाणु डाटा से जुड़े एसटीएआरटी समझौते में शामिल नहीं है। अमेरिका ने अपनी धमकी के पीछे इसी बात को वजह के तौर पर गिनाया था।
रूसी राजनयिक एर्मकोव ने हालांकि अभी तक सामने आए उनकी बातचीत के अंशों में अमेरिका से कथित टकराव को लेकर कुछ खास जानकारी सामने नहीं आई है। बातचीत में एर्मकोव ने स्वीकारा कि आज अगर कोई सबसे अहम खतरा है, तो वह है दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में आमने—सामने टकराव होना। यही वजह से है कि अमेरिका की ‘थानेदारी’ ऐसे ही चलती रही तो परमाणु युद्ध का खतरा कहीं वास्तविक हो सकता है।
कुछ विशेषज्ञों की राय में रूस की ओर से परमाणु युद्ध के खतरे की ‘आशंकाओं’ का बार बार उल्लेख होना यही दर्शाता है कि वह नहीं चाहता अमेरिका यूक्रेन के पाले में खड़ा रहे। ऐसा हुआ तो कई पश्चिमी देश भी यूक्रेन से अपने कदम पीछे खींच लेंगे, और तब रूस के लिए युद्ध को अपने पाले में करना कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा।
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