प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत विविधता को विशिष्टता के रूप में जीने वाला देश है। हम अलग-अलग भाषाओं, बोलियों, कलाओं और विषयों का उत्सव मानते हैं। हमारी ये विविधता हमें बांटती नहीं, बल्कि हमारे बंधन को मजबूत बनाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र तमिल संगमम् के समापन समारोह के संबोधन में यह उद्गार व्यक्त किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि अलग-अलग धाराएं जब साथ आती हैं तो संगम का सृजन होता है। हम इन परंपराओं को सदियों से पोषित करते आए हैं।
उन्होंने कहा कि हम तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। आज हमारे पास 2047 के भारत का लक्ष्य है। हमें देश को आगे लेकर जाना है, लेकिन रास्ते में तोड़ने वाली ताकतें और भटकाने वाले लोग भी मिलेंगे। भारत कठिन से कठिन हालात में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं। ये संगम नर्मदा और वैगई का है। ये डांडिया और कोलाट्टम का संगम है। प्रधानमंत्री ने आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह अद्भुत पहल है। इससे पहले बनारस में काशी तमिल संगमम् का आयोजन हुआ था। उसकी पूरे देश में चर्चा हुई थी। आज सौराष्ट्र की धरती पर पुन: भारत की दो प्राचीन धाराओं का संगम होता देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल सौराष्ट्र तमिल संगमम् का ही नहीं है बल्कि ये देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में एक शक्ति की उपासना का उत्सव भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने समापन समारोह के दौरान श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय की ”सौराष्ट्र-तमिल संगम प्रशस्ति” पुस्तक का विमोचन भी किया।
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