देहरादून के सहसपुर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े एक आलीशान मदरसे की खबर ने पिछले दिनों सुर्खियां बटोरी थी। इस जामी उलूम मदरसे में मस्जिद भी बना दी गई और इसका निर्माण कार्य भी चल रहा है। मदरसे की इमारत के साथ एक ऊंची पानी की टंकी भी बना दी गई है, जो पहली नजर में सरकारी जल निगम की दिखाई देती है, लेकिन जब जानकारी हासिल की गई तो पता चला ये मदरसा कमेटी द्वारा निजी रूप से बनवाया गया है। “पाञ्चजन्य” ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस खबर के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारियों ने मौके पर जाकर भूमि पैमाइश की और अन्य जमीनी दस्तावेजों की जांच की है।
इस मदरसे को लेकर चौंकाने वाली खबर आ रही है कि पौंधयी बरसाती नदी पर किस तरह से अवैध कब्जा करके ये इमारत खड़ी की गई है। अवैध कब्जे पर भव्य मदरसा इमारत खड़ी करने के पीछे स्पष्ट उद्देश्य दिखता है कि यहां अवैध रूप से बसी मुस्लिम आबादी के बच्चों में इस्लामिक शिक्षा दिए जाने की योजना है। मदरसे की करोड़ों की लागत की इतनी बड़ी इमारत के निर्माण के लिए कहां से बजट की व्यवस्था हो रही है? ये सवाल इस इमारत को देखकर सहज ही उठ रहा है। ये इमारत अचानक सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आई है, इसके पीछे मुख्य कारण जामी उलूम मदरसा मस्जिद कमेटी द्वारा पानी की टंकी को घेर दिए जाने और उस पर लाउडस्पीकर लगा दिए जाने का था।
तस्वीर वायरल होने के बाद विकासनगर एसडीएम द्वारा लाउडस्पीकर उतरवा दिए गए हैं। अब तहसीलदार, कानून गो और पटवारी भी इस भवन की जमीन की जांच पड़ताल में लग गए हैं। पहली जांच में ही ये बात सामने आई है कि मदरसा और मस्जिद, पौंधाई बरसाती नदी की भूमि पर कब्जा करके बनाई गई है। इस पर बनी इमारत के निर्माण के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई है, जबकि ये नियम है कि 2009 से कोई भी धार्मिक स्थल और कोई भी धार्मिक संस्थान के निर्माण या उसकी मरम्मत के लिए डीएम से अनुमति लेना जरूरी है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। यहां न मदरसे की, न मस्जिद की और न ही ऊंची बनी पानी की टंकी के निर्माण की अनुमति ली गई है। ये बात भी सामने आई है कि यदि इस इमारत का नक्शा पास कराने के लिए जाते तो नदी श्रेणी की जमीन पर अवैध कब्जे की बात खुल जाती है
एमडीडीए ने लिया संज्ञान
इस मामले में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण यानी एमडीडीए क्यों खामोश है इस पर भी सवाल उठ रहे थे। अब एमडीडीए ने मदरसा प्रबंधकों को बिना अनुमति अथवा बिना नक्शा पास करवाए निर्माण किए जाने पर नोटिस जारी किया है। एमडीडीए के सचिव बंशीधर तिवारी द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।
किसी भी धार्मिक स्थल को बनाए जाने से पहले अनुमति जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के 29 सितंबर 2009 के एक आदेश के अनुसार देश में कोई भी धार्मिक स्थल बिना डीएम की अनुमति के नहीं बनाया जा सकता। यदि कोई बनाता है तो प्रशासन उसे ध्वस्त कर इसकी जानकारी हाई कोर्ट को देगा। यानी हाई कोर्ट को इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने निगरानी रखने को कहा है।
बिना अनुमति के मस्जिद, मजार और मदरसे का निर्माण
ऐसी सूचनाएं भी हैं कि पछुवा देहरादून में किसी भी मस्जिद, मजार के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है और ये सब सरकारी भूमि पर कब्जा करके बनाए गए हैं। ये मजार जमीन जिहाद का एक हिस्सा है। सहसपुर का आलीशान मदरसा भी इसी जिहाद का एक षड्यंत्र ही बताया जा रहा है। देहरादून के वीर सावरकर संगठन के अध्यक्ष कुलदीप स्वेडिया ने बताया कि प्रशासन की आंख के नीचे बिना अनुमति के मदरसे, मस्जिदें बन रही हैं, जिसे रोकना जरूरी है। जामी उलूम मदरसा मस्जिद यहां नदी की जमीन घेर कर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पछुवा देहरादून में 100 से ज्यादा मस्जिद, मजारें खड़ी हो गई हैं और सब सरकारी जमीनों पर कब्जा करके बनाई गई हैं। ये जमीन जिहाद का हिस्सा है।
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