पड़ोसी इस्लामी देश बांग्लादेश में मोहम्मद शहाबुद्दीन नए राष्ट्रपति बने हैं। गत फरवरी माह में शहाबुद्दीन सत्तारूढ़ अवामी लीग के प्रत्याशी के तौर पर राष्ट्रपति पद पर निर्विरोध चुने गए थे। गत 23 अप्रैल को निवर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हामिद का कार्यकाल खत्म हो गया था। सोमवार को नए राष्ट्रपति के तौर पर शहाबुद्दीन का कार्यकाल शुरू हो गया।
मोहम्मद शहाबुद्दीन बांग्लादेश के जाने—माने न्यायाधीश रहे हैं और उसके बाद वे राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। वे वहां के वरिष्ठ राजनेताओं में गिने जाते रहे हैं। कल नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद उन्होंने पद से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। शहाबुद्दीन बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति बने हैं। उनके गरिमामय शपथ समारोह में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित अनेक वरिष्ठ नेता, न्यायकर्मी, सर्वोच्च न्यायालय के अनेक न्यायाधीश, वकील, फौज के अफसर और समाजसेवी उपस्थित थे। बंगभवन में संसद अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी ने दरबार हॉल में 73 साल के शहाबुद्दीन को नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ दिलाई।
उनसे पूर्व मोहम्मद अब्दुल हामिद दो बार बांग्लादेश के राष्ट्रपति का पदभार संभाल चुके हैं। 24 अप्रैल, 2018 को हामिद का दूसरा कार्यकाल आरम्भ हुआ था। 23 अप्रैल को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था।
छात्र जीवन में वे अवामी लीग के छात्र और युवा प्रकोष्ठ के नेता रहे। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में बढ़—चढ़कर भाग लिया था। बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान (वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता) की हत्या के बाद, विरोध आंदोलन करते हुए वे जेल गए थे।
शहाबुद्दीन का जन्म 1949 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (जो आज बांग्लादेश है) के उत्तर-पश्चिमी जिले पबना में हुआ था। छात्र जीवन में वे अवामी लीग के छात्र और युवा प्रकोष्ठ के नेता रहे। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में बढ़—चढ़कर भाग लिया था। बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान (वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता) की हत्या के बाद, विरोध आंदोलन करते हुए वे जेल गए थे।
1982 में वे बांग्लादेश की न्यायिक सेवा से जुड़े। इसके बाद, 1996 में अवामी लीग के सत्ता में आने के बाद बंगबंधु हत्याकांड की जांच में उन्होंने समन्वयक के तौर पर काम किया। शहाबुद्दीन डिस्ट्रिक्ट तथा सेशन जज पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवा से निवृत्त होने के बाद वे स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधी आयोग के आयुक्तों में से एक बन गए और अपने काम से एक छाप छोड़ी। इसके बाद वे राजनीति में सक्रिय रूप से जुड़े। उन्हें अवामी लीग सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया गया। शहाबुद्दीन की पत्नी रेबेका सुल्ताना बांग्लादेश सरकार में संयुक्त सचिव रह चुकी हैं।
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