मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह पूर्वांचल के बड़े गिरोह बन कर उभरे। दोनों के गैंग ने एक-दूसरे पर जानलेवा हमला कराए, लेकिन दोनों ही बच गए। इसी समय भाजपा नेता कृष्णानंद राय का बढ़ता कद मुख्तार अंसारी को अखरने लगा था। 2002 के विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को चुनाव में हराया। इसके बाद मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय की दुश्मनी बढ़ती गई।
मुख्तार अंसारी का मामला अतीक अहमद से थोड़ा भिन्न है। अतीक को बसपा सरकार में कार्रवाई का सामना करना पड़ता था, लेकिन मुख्तार का सपा और बसपा दोनों में बेहतर तालमेल रहा। मुख्तार अंसारी के दादा कांग्रेस पार्टी के नेता थे और पिता वामपंथी विचारधारा के नेता थे। मुख्तार अंसारी विरासत में मिली राजनीति और अपराध का घालमेल है।
1988 में एक हत्याकांड में मुख्तार का नाम सामने आया, लेकिन साक्ष्य न मिलने के कारण वह बच गया। 1990 के आसपास गाजीपुर जनपद के सरकारी ठेकों पर बृजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था। इन्हीं ठेकों पर कब्जा जमाए रखने को लेकर मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की दुश्मनी शुरू हुई, जो आज भी चल रही है। धीरे-धीरे पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर ,वाराणसी और जौनपुर जनपदों में मुख्तार का दबदबा कायम होता गया। अपराध जगत में स्थापित हो जाने के बाद मुख्तार अंसारी ने राजनीति में कदम रखा। 1996 में वह पहली बार विधानसभा चुनाव जीता।
2002 के आसपास मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह पूर्वांचल के बड़े गिरोह बन कर उभरे। दोनों के गैंग ने एक-दूसरे पर जानलेवा हमला कराए, लेकिन दोनों ही बच गए। इसी समय भाजपा नेता कृष्णानंद राय का बढ़ता कद मुख्तार अंसारी को अखरने लगा था। 2002 के विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को चुनाव में हराया। इसके बाद मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय की दुश्मनी बढ़ती गई। मुख्तार अंसारी कृष्णानंद राय की हत्या कराना चाहता था।
इसी दौरान सपा के शासनकाल में मऊ जनपद में दंगा हुआ। उस समय लोगों ने नारा लगाया था, ‘‘जिस गाड़ी में सपा का झंडा, उस पर है मुख्तार का गुंडा।’’ इसके बाद सपा सरकार की काफी किरकिरी होने लगी। मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन वह फरार हो गया। गाजीपुर जनपद न्यायालय में उसने आत्मसमर्पण किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। 2006 में जब मुख्तार गाजीपुर जेल में था, तब भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय आधा दर्जन एके-47 रायफलों से 400 से अधिक गोलियां चलाई गई थीं। मुख्तार को हत्याकांड में षड्यंत्र रचने का आरोपी बनाया गया।
मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी ने अपना राजनीतिक सफर बसपा से शुरू किया था, लेकिन इनकी इतनी ही निकटता सपा से भी रही। 2009 में मुख्तार जेल से बसपा के टिकट पर वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के मुरली मनोहर जोशी से चुनाव हार गया। 2010 में एक ठेकेदार की हत्या कर दी गई। फिर उस मुकदमे के गवाह की भी हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप लगने के बाद मुख्तार और अफजाल बसपा से निकाल दिए गए। उसके बाद मुख्तार, अफजाल और सिग्बतुल्लाह ने मिलकर ‘कौमी एकता दल’ नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई।
मुख्तार अंसारी 2006 से जेल में बंद है। योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से उसे मौत का डर सताने लगा है। उसने पंजाब में अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। उमंग नाम के बिल्डर द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जेल से मुख्तार ने 10 करोड़ रुपये गुंडा टैक्स की मांग की है। रुपये न देने पर जान से मारने की धमकी दी गई है। वारंट लेकर पंजाब पुलिस उत्तर प्रदेश गई और मुख्तार को पंजाब ले गई।
24 जनवरी, 2019 को मुख्तार को मोहाली न्यायालय में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार को मुख्तार को वापस लाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। मुख्तार ने बीमारी का बहाना बनाया। पंजाब सरकार ने भी उसका साथ दिया। मुख्तार को लेकर पंजाब विधानसभा में सवाल उठा, लेकिन पंजाब सरकार टस से मस नहीं हुई। जिस मुकदमे में पंजाब पुलिस मुख्तार को ले गई थी, उस मुकदमे में 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी पंजाब पुलिस ने चार्जशीट दाखिल नहीं की। लिहाजा, मुख्तार ने भी जमानत याचिका दाखिल नहीं की। मतलब साफ था कि पंजाब सरकार मुख्तार को अपनी जेल में रखना चाहती थी और मुख्तार भी यही चाहता था।
कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अलका राय ने लिखा था, ‘‘यूपी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से लाने के लिए याचिका दायर की है। नोटिस लेकर गाजीपुर पुलिस गई थी, लेकिन वहां के अधिकारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। मैं प्रियंका गांधी से निवेदन कर रही हूं कि ऐसे अपराधी को बचाने की कोशिश न करें। उसे वहां से भेजा जाए, ताकि न्यायालय में लंबित मुकदमे में न्याय मिल सके। आप भी महिला हैं और मुझे विश्वास है कि आप मेरी भावनाओं को समझेंगीं।’’ कुछ समय बाद अलका राय ने प्रियंका गांधी वाड्रा को दोबारा पत्र लिखा, ‘‘पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को बचा रही है और राजस्थान सरकार उसके पुत्र को राजकीय अतिथि बना रही है। महिला होने के नाते मुझे उम्मीद थी कि आप मेरा दर्द समझेंगी।’’
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल कहते हैं, ‘‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय से मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी जेल लाने का रास्ता साफ हो पाया। मैंने साढ़े सैंतीस वर्ष पुलिस सेवा में किसी राज्य सरकार की ऐसी बेशर्मी नहीं देखी, जैसी पंजाब की कांग्रेस सरकार ने प्रदर्शित की।’’ भाजपा विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं, ‘‘देश के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा उदाहरण मिले, जिसमें किसी राजनीतिक दल की एक माफिया के प्रति इस कदर सहानुभूति उमड़ी हो कि उसकी पैरोकारी में वह सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच जाए। पूरा समाज जानता है कि मुख्तार क्या है। कितने लोग उसके जुल्म और ज्यादती के शिकार हुए हैं। मेरा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से सवाल है कि इस सहानुभूति की वजह क्या है? उन लोगों के बारे में उनका क्या ख्याल है, जिनके घर-परिवार मुख्तार के कारण उजड़ गए। मुख्तार की पैरवी करते हुए क्या कभी कांग्रेस ने इनके बारे में सोचा? यकीनन नहीं सोचा होगा।’’
मुख्तार को तीन मुकदमों में सजा हो चुकी है। गाजीपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने उसे एक मुकदमे में दस वर्ष की सजा सुनाई। 1996 में दर्ज 5 मुकदमों के आधार पर दर्ज गैंगस्टर एक्ट में भी सजा हुई है। इसमें कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या एवं अपर पुलिस अधीक्षक पर जानलेवा हमले भी शामिल था। इस मुकदमे में 26 वर्ष बाद सजा सुनाई गई। एक अन्य मामले में लखनऊ के थाना आलमबाग में वर्ष 2003 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मुकदमे में अपील निस्तारित करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्तार को 7 वर्ष कारावास की सजा सुनाई। इसी प्रकार वर्ष 1999 में लखनऊ के थाना हजरतगंज में मुख्तार अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उसमे भी न्यायालय ने उसे 5 वर्ष की सजा सुनाई है।
मुख्तार ने गाजीपुर के फतेहउल्लाहपुर गांव में तालाब पर कब्जा करने के लिए राजस्व रिकॉर्ड में फर्जी प्रविष्टी कराई थी। उसे तथा हवाईअड्डे के लिए आवंटित 50 बीघा जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया। मगई नदी पर मछली पालन के लिए 16 लाख रुपये से बने पुल को ध्वस्त कर वहां की जमीन कब्जा ली थी। उसे भी मुक्त कराया गया। मुख्तार गैंग के 287 सदस्यों और सहयोगियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। इनके विरुद्ध 147 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 178 को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस रिकार्ड में मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं। 167 असलहों के लाइसेंस निरस्त कराए गए, साथ ही 76 अभियुक्तों की हिस्ट्रीशीट खोली गई। गैंगेस्टर अधिनियम के तहत मुख्तार की 2 अरब 91 करोड़, 19 लाख 22 हजार 347 रुपये की संपत्ति जब्त तथा 2 अरब 84 करोड़ 77 लाख 72 हजार 810 रुपये की संपत्ति ध्वस्त की गई है। उसके ठेके और अवैध व्यवसाय बंद कराए गए। इससे गिरोह को सालाना 2,12,46,83,432 रुपये का नुकसान हुआ है।
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