छाप तिलक सब छीन लीन्हो: केरल के ईद मुबारक वीडियो में एक हिन्दू महिला की धार्मिक पहचान मिटाते हुए गढ़ा गया प्यार का नैरेटिव एक कव्वाली है, जिसे खूब गाया जाता है, छाप तिलक सब छीन लीन्हो रे तोसे नैना मिलाय के!” अर्थात यह एक प्रेम गीत है, जिसमें खुसरो कह रहे हैं कि इश्क में पड़कर छाप और तिलक सब उसके प्रेमी ने छीन लिया है और प्रेमी के इश्क में गोरी-गोरी बाहों में हरी-हरी चूड़ियां पहन ली हैं। यह गीत न जाने कब से गाते चले आ रहे हैं। मगर जब केरल के एक ईद मुबारक वीडियो में ऐसी ही कहानी कही गई तो ध्यान आया कि तिलक छीने जाने पर क्या होता है ? तिलक अर्थात बिंदी ! प्रेम में तो प्रेमी का हुआ जाता है, फिर तिलक जैसी चीज जो पहचान है, वह कैसे छिन सकती है ? मगर छिनी तो है।
यह वीडियो दिखाता है कि एक हिन्दू लड़की अपने मुस्लिम प्रेमी से मिलने के लिए अपने हिन्दू भेष में जाती है। वह उसे नमाज पढ़ते हुए देखती है और फिर शरमा जाती है। फिर वह आता है और उसे पहले उसके हिन्दू वस्त्रों के स्थान पर कुर्ता पजामी और चुन्नी देता है और उसके बाद जब वह कपड़े बदलकर उसके पास आती है तो उसकी बिंदी हटा देता है और चुन्नी ओढ़ा देता है। इसमें यह दिखाने का प्रयास है कि हिन्दू लड़की अपनी मर्जी से ही अपनी धार्मिक पहचान त्याग रही है।
Love sees no religion yet a religious boy has to convert the girl before accepting her.
Video by Sumi Rashik, Malayalam actress in collab with 'Kcaptures by Kiran' at Instagram with hashtags RamzanMubarak, RomanticVideos, MusIim, etc. pic.twitter.com/bU8hjT7XSM
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) April 22, 2023
दरअसल, यह वीडियो वर्ष 2020 में आई एक फिल्म सूफियम सुजातायम के गाने पर बना है। यह फिल्म भी हिन्दू लड़की एवं मुस्लिम युवक के प्रेम प्रसंग पर आधारित थी और इसमें भी इसी गाने में अदितिराव हैदर अपनी बिंदी हटाकर चुन्नी ओढ़कर हरी पहचान में ढलने का प्रयास करती है। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया वैसे ही नेट पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कहा कि यह लव जिहाद को प्रचार करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। प्रेम में लड़की या लड़के को उसके उसी स्वरूप में अपनाया जाता है, यदि लड़के के लिए लड़की को अपनी धार्मिक पहचान छोड़नी पड़े तो वह फिर प्रेम कहां रहा ? ऐसा लोगों ने कहा। यह वीडियो टेलीवीजन कलाकार सुमी राशिक ने सोशल मीडिया पर साझा किया था।
यह वीडियो एक प्रकार से धार्मिक पहचान की हत्या का मामला है। ऐसा नहीं है कि पहली बार ऐसा हो रहा हो कि हिन्दुओं की उस पीड़ा पर नमक छिड़का जा रहा हो, जिससे हिन्दू समाज आज से नहीं बल्कि न जाने कितने दशकों या सदियों से गुजर रहा है। यह पीड़ा है बेटियों की धार्मिक पहचान मिट जाने की। आज जब यह वीडियो साझा हो रहा है, उस समय भी पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों की जबरन धार्मिक पहचान मिटाई जा रही है अर्थात बलात्कार, अपहरण और निकाह हो रहे हैं। मगर कथित रूप से अंतर्धामिक विवाह की पैरवी करने वाले लोग खुसरो की इन्हीं पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि सच्चे प्रेम में तो तिलक खुसरो तक बिसरा बैठे थे, फिर यह तो एकाकार होने की भावना है। मगर हिन्दुओं के लिए यह एकाकार होने की भावना नहीं है, क्योंकि बिंदी मात्र बिंदी नहीं बल्कि उनकी वह पहचान है जो उन्हें और आने वाली पीढ़ियों को उनकी जड़ों से जोड़े रखती है।
हमारी कोई भी देवी बिना श्रृंगार के नहीं है और कोई भी देवी घूंघट में नहीं हैं। हर देवी स्वतंत्र है और बिंदी सहित हर श्रृंगार से परिपूर्ण है। अत: हिन्दू स्त्री का बिंदी वाला स्वरूप एक दिव्य स्वरूप है जिसे वह हर धार्मिक अनुष्ठान पर धारण करती है। इस वीडियो में प्रेम के नाम पर दिव्यता को ही छीनने की बात की गई है। यद्यपि सोशल मीडिया पर ऐसा नहीं है कि पहली बार ही ऐसा अवसर आया है जिसमें हिन्दू महिलाओं के साथ हो रहे पहचान के द्वन्द का उपहास उड़ाया गया हो, यह तनिष्क के विज्ञापन के साथ भी हुआ था और जिस पर शोर मचा था।
आज जब हम देखते हैं कि इसी बिंदी रहित प्यार के चक्कर में श्रद्धा के 35 टुकड़े हो जाते हैं, इसी बिंदी रहित प्यार की जिद्द न मानने पर झारखंड में शाहरुख अंकिता को जलाकर मार डालता है और निकिता तोमर की दिन दहाड़े हत्या हो जाती है। यह गिने चुने मामले हैं, यदि लिखा जाएगा तो न जाने कितने पन्ने तो केवल नाम से ही भर जाएंगे, उनकी दुःख भरी कहानियों के लिए तो कई किताबें कम पड़ेंगी। मगर फिर भी हिन्दुओं को नीचा दिखाने के लिए इस प्रकार के वीडियो बनाए जाते हैं और उन्हें यह कहते हुए उचित भी ठहराया जाता है कि यह प्रेम है।
अपनी धार्मिक पहचान मिटाकर किसी रिश्ते में जाना प्रेम नहीं है, इसे ही कल्चरल जीनोसाइड कहते हैं अर्थात सांस्कृतिक ध्वंस, क्योंकि लड़की ही किसी भी संस्कृति का संवाहक होती है। लड़की की धार्मिक पहचान के मिट जाने का अर्थ होता है आने वाली तमाम पीढ़ियों की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान का नष्ट हो जाना। बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं भारत तीनों ही देशों में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जब लड़कियों की धार्मिक पहचान को जानबूझते नष्ट किया जा रहा है और भारत में तो नाम बदलकर शादी करने या
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उन्हें प्यार के जाल में फंसाकर उनकी धार्मिक पहचान नष्ट करने के नित नए मामले सामने आ रहे हैं, तो ऐसे में ऐसे वीडियो वास्तव में उन घावों पर नमक छिड़कने का कार्य करते हैं, जो घाव पूरी सभ्यता के हैं। हाल ही में राजस्थान में ही एक महिला झाम्मा देवी को एक शकूर खान ने 6 अप्रेल को आग लगाकर मार डाला था। जब यह वीडियो पर्दे को ग्लोरिफाई कर रहा है, तो ऐसे में मुंबई की वह घटना याद आना स्वाभाविक है जिसमें इकबाल शेख ने रूपाली की हत्या कर दी थी, या फिर ऐसा नहीं है कि केरल में ऐसी घटनाएं नहीं हो रही होंगी।
दरअसल, धार्मिक पहचान मिटाकर नई पहचान देने का जो विमर्श आया था, वह केरल से ही ईसाई समुदाय से आया था। यह हिन्दुओं का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि चाहे किसी भी संप्रदाय का कोई भी पर्व हो, निशाना उन्हीं पर साधा जाता है और उनकी धार्मिक पहचानों को मिटाने के नए बहाने खोजे जाते हैं, एवं इस चमक दमक वाले वीडियो में श्रद्धा वॉकर, निकिता तोमर या फिर उमा शर्मा उर्फ अक्सा फातिमा की चीखें दब जाती हैं। उनकी पीड़ा और दर्द विमर्श से एकदम ही गायब हो जाता है।
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