मशहूर लेखक तारिक फतह का सोमवार को निधन हो गया। उनकी बेटी नताशा ने इसकी पुष्टि की है। वह 73 साल के थे। वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। दो दिन पहले उनके निधन की अफवाह भी मीडिया में फैली थी। परिजनों ने अपील की थी इस तरह की अफवाह न फैलाई जाय।
तारिक फतह की बेटी नताशा ने आज शाम को ट्वीट किया कि पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा, कनाडा का प्यार, सच बोलने वाला, न्याय के लिए लड़ने वाला, दबे-कुचले और शोषितों की आवाज… तारिक फतह नहीं रहे।
तारिक फतह का जन्म पाकिस्तान के कराची में 20 नवंबर 1949 को हुआ था। उनका परिवार बॉम्बे का रहने वाला था, लेकिन बंटवारे के बाद कराची चला गया था। तारिक फतेह ने बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने खोजी पत्रकारिता भी की। कराची सन अखबार में रिपोर्टिंग की। वर्ष 1977 में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उन्हें पत्रकार के रूप में काम करने से रोका गया। कुछ वर्षों बाद वह कनाडा चले गए थे। भारत उनके मन में रचा-बसा था। नूपुर शर्मा को जब जिहादियों ने सर कलम करने की धमकी दी और कन्हैयालाल हत्याकांड के समय उन्होंने खुलकर जिहादियों का विरोध किया था। वे इस्लामी कट्टरता के घोर विरोधी थे।
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