झारखंड में खनन घोटाला हो, जमीन घोटाला हो या अवैध तरीके से बालू और पत्थरों की तस्करी का मामला हो, इन सब में प्रदेश के नेता या अधिकारियों का नाम आ ही जा रहा है। ऐसा लग रहा है मानो सरकार घोटालेबाजों को खुला समर्थन कर रही हो।
हालांकि इस तरह के कई मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है। इसी क्रम में अब प्रदेश में एक नए घोटाले की बात भी सामने आई है। यह है शराब घोटाला। छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब घोटाले की जांच के दौरान झारखंड उत्पाद विभाग के अधिकारियों के भी नाम सामने आए हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय की टीम इन अधिकारियों से पूछताछ करने वाली है।
बता दें कि कुछ समय पहले झारखंड के उत्पाद विभाग की ओर से नई उत्पाद नीति लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को परामर्शी बनाया गया था। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच चलने लगी तो झारखंड के उत्पाद विभाग ने मार्च के महीने में परामर्शी को हटा दिया।
छत्तीसगढ़ में इस कॉरपोरेशन से जुड़े कई अधिकारियों के यहां छापेमारी की गई। इस दौरान ईडी को पता चला कि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को झारखंड के उत्पाद विभाग की ओर से परामर्शी बनाया गया है। इसके बाद अब झारखंड के बड़े अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए। इसी को लेकर झारखंड के उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे को छत्तीसगढ़ ईडी की टीम के समक्ष 22 अप्रैल को हाजिर होने और कॉरपोरेशन को परामर्शी बनाने के मामले में अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस दिया गया था।
इस मामले को लेकर विपक्ष भी हमलावर दिखाई दे रहा है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने तो प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद शराब घोटाले में शामिल हैं। बाबूलाल के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री को वर्ष 2022 में 18 अप्रैल, 19 अप्रैल और 9 दिसंबर को पत्र लिखकर सारी वस्तुस्थिति बताई थी और ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात भी कही थी। उस दौरान मुख्यमंत्री की ओर से किसी तरह की कार्रवाई ना होना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
श्री मरांडी ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय का छापा पड़ा है तब जाकर झारखंड सरकार सक्रिय दिखाई दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ शराब कंसलटेंट सप्लायर और उत्पाद विभाग ने मिलकर लगभग 450 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पाद का नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में झारखंड सरकार को उन पदाधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।
खबरों से पता चला है कि छत्तीसगढ़ से इम्पोरटेड शराब घोटाला नीति से चोट खाये मुख्यमंत्री जी ने अपनी पार्टी के माध्यम से हमसे बेहतर शराब नीति पर सलाह माँगी है।
मुख्यमंत्री जी को आये इस आत्म ज्ञान(विलंब से ही सही) का हम स्वागत करते हैं।लेकिन उन्हें पहले यह बताना चाहिये कि शराब…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) April 21, 2023
अब देखना यह है कि प्रवर्तन निदेशालय के सवाल जवाब में उत्पाद विभाग के अधिकारी क्या जवाब देते हैं और इस पूरे मामले पर झारखंड सरकार क्या करती है। अगर जांच में ईडी के समक्ष झारखंड सरकार के खिलाफ कुछ सबूत हाथ लगते हैं तो इस बार प्रदेश की सरकार के खाते में एक नया घोटाला जरूर शामिल हो जायेगा ।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
टिप्पणियाँ