श्रीलंका में भारतीय संस्कृति और इतिहास से जुड़े दो महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुए हैं। वहां भारतीय उच्चायोग के विशेष प्रयासों से सीता मंदिर के एक विशेष स्मारक कवर का अनावरण हुआ तो साथ ही ऐतिहासिक ‘अशोक वाटिका’ पर एक ध्यान केन्द्र की नींव भी रखी गई है।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने कल भारत की दृष्टि से ये दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य अपने करकमलों से संपन्न किए। वहां नुवारा एलिया शहर के निकट स्थित है ये प्रख्यात सीता मंदिर। प्रधानमंत्री गुणवर्धने ने इस मंदिर की छवि से सुसज्जित एक विशेष स्मारक कवर को अनावृत्त किया तो वहां मौजूद हिन्दू आस्थावानों ने कररतल ध्वनि से अपना हर्ष व्यक्त किया। इस अवसर पर भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले और अन्य अनेक विशिष्टजन उपस्थित थे।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री गुणवर्धने ने इसके साथ ही रामायणकालीन विश्व वंदनीय ‘अशोक वाटिका’ के निकट ही एक सुंदर ‘ध्यान केंद्र’ की भी नींव रखी है। श्रीलंका सरकार चाहती है कि रामायणकालीन स्थलों को आकर्षक और सुविधायुक्त बनाया जाए जिससे हिन्दू आस्थावानों सहित विश्व भर से श्रद्धालु यहां आकर इन पावन स्थलों के दर्शन करें। इससे उस देश की आर्थिक सेहत भी सुधरने के आसार हैं। निश्चित ही ऐसे कामों से उस देश में पर्यटन के क्षेत्र में गति आएगी, उसे और ताकत मिलेगी।
श्रीलंका में आज भी एक सुंदर उद्यान है अशोक वाटिका। यही वही उद्यान है जिसके बारे में रामायण ग्रंथ में वर्णन आता है कि राक्षसराज रावण ने माता सीता को बंदी बनाकर यहीं रखा था। उद्यान का नाम पवित्र अशोक वृक्ष के नाम पर पड़ा था। श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि अभी गत मार्च महीने में ही यहां सवा लाख से अधिक पर्यटक दर्शन हेतु पहुंचे थे। इनमें ज्यादातर पर्यटक रूस और भारत से गए थे।
इन कार्यक्रमों के संदर्भ में भारत के श्रीलंका स्थित उच्चायोग ने कल एक ट्वीट भी किया है। इस ट्वीट में लिखा है कि ‘प्रधानमंत्री गुणवर्धने, उच्चायुक्त तथा दूसरे विशिष्टजन की मौजूदगी में आज श्रीलंका में नुवारा एलिया के निकट सीता मंदिर के एक विशेष स्मारक कवर को अनावृत्त किया गया। प्रधानमंत्री ने मंदिर में एक ध्यान केंद्र की नींव भी रखी है, जिसे रामायण ग्रंथ में अशोक वाटिका का स्थान बताया गया है। यह ध्यान केंद्र मंदिर में सुविधाएं बढ़ाएगा तथा भारत और अन्य स्थानों से और ज्यादा पर्यटकों को यहां आने के लिए लालायित करने में मदद करेगा’।
श्रीलंका में आज भी एक सुंदर उद्यान है अशोक वाटिका। यही वही उद्यान है जिसके बारे में रामायण ग्रंथ में वर्णन आता है कि राक्षसराज रावण ने माता सीता को बंदी बनाकर यहीं रखा था। उद्यान का नाम पवित्र अशोक वृक्ष के नाम पर पड़ा था। श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि अभी गत मार्च महीने में ही यहां सवा लाख से अधिक पर्यटक दर्शन हेतु पहुंचे थे। इनमें ज्यादातर पर्यटक रूस और भारत से गए थे।
उल्लेखनीय है कि पर्यटन वह विभाग है जो श्रीलंका जैसे अर्थसंकट से घिरे देश के लिए विदेशी मुद्रा की आय का मुख्य स्रोत है। 2020 में कोरोना महामारी के आरंभ में पर्यटन को गंभीर चोट पहुंची थी, जिसने श्रीलंका की आर्थिक हालत जर्जर बना दी थी। श्रीलंका में गत समय रहे आर्थिक संकट का यह भी एक बड़ा कारण माना जाता है। इस वजह से उस देश को गंभीर मानवीय तथा राजनीतिक संकट के दौर से गुजरना पड़ा था और आज भी हालत कोई बहुत सही नहीं है।
माना जा रहा है कि हिन्दू धर्म से जुड़े दोनों ही तीर्थों की ओर पर्यटकों की आमद बढ़ने से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और संकट दूर होगा। राम में आस्था रखने वालों की श्रीलंका और भारत में ही नहीं, विश्व भर में एक बहुत बड़ी संख्या है।
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