उत्तर और दक्षिण भारत के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने के लिए गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है। गंगा पुष्कर कुंभ का शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल भोर 5:16 बजे से आरंभ हो गया है। दक्षिण भारत से आये श्रद्धालु गंगा में स्नान के बाद तर्पण व पिंडदान कर रहे हैं। इसके बाद काशी विश्वनाथ, काल भैरव, अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन पूजन की परंपरा है। अस्सी से राजघाट के बीच जगह-जगह तीर्थ पुरोहितों द्वारा पार्थिव शिवलिंग बनाकर अनुष्ठान भी कराया जाता है। पितरों के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने श्रद्धालु लाखों की संख्या में काशी आते हैं। काशी तमिल संगमम के बाद शनिवार से वाराणसी में गंगा पुष्करम कुंभ शुरू हो गया। 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में 1.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 29 अप्रैल को वर्चुअली गंगा पुष्करम कुंभ को संबोधित करेंगे।
22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में दक्षिण भारत के तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु वाराणसी आएंगे। ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है। इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालु काशी में पितरों का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरो में दर्शन-पूजन करेंगे।
बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में 12 दिनों तक दक्षिण भारत के करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु काशी में गंगा पुष्करम कुंभ के आयोजन में शामिल होंगे। श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि इस ख़ास समय में गंगा में स्नान कर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान का विशेष महत्त्व होता है। श्रद्धालुओं को काशी लाने के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है। काशी में दक्षिण भारत से सम्बंधित बहुत से मठ, मंदिर, धर्मशाला और आश्रम हैं। जहां तीर्थ यात्रियों के रुकने की व्यवस्था की गई है।वाराणसी के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए शहर को चार जोन में बांटा गया है।
सफाई और सुरक्षा की दृष्टि से लगभग 400 कर्मचारियों को लगाया गया है। पर्यटन विभाग द्वारा रेलवे स्टेशन मंदिर जाने वाले प्रमुख चौराहों समेत कई जगह हेल्प डेस्क बनाया जाएगा। यहां पर्यटन विभाग के कर्मचारी के साथ तेलुगू भाषा जानने वाले वालंटियर रहेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में भी तेलुगू भाषा के वालेंटियर रहेंगे। दिव्यांगजनों और वृद्धों के लिए अतिरिक्त व्हीलचेयर की व्यवस्था रहेगी। घाटों, रास्तों और अन्य स्थानों पर इंग्लिश और तेलुगू भाषा में साइनेज भी लगाए जाएंगे। इससे श्रद्धालुओं को भाषाई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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