वाराणसी के भेलूपुर निवासी हाजी इरशाद अली ने कपड़े पर मां गंगा की मिट्टी से हनुमान चालीसा की चौपाइयों को लिखा है। वो इस हनुमान चालीसा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपना चाहते हैं। हाजी इरशाद अली इन दिनों खूब चर्चा में है। उन्होंने गंगा की तलहटी से माटी निकालकर सफेद कपड़े पर हनुमान चालीसा लिखा है। उन्होंने केवल हनुमान चालीसा ही नहीं, बल्कि 30 मीटर कपड़े पर गीता श्लोक, सहस्त्रनाम श्रोत भी लिखा है। इसको लिखने में एक वर्ष से ज्यादा समय लगा।
इरशाद अली ने बताया कि कॉटन के दो मीटर कपड़े पर उन्होंने हनुमान चालीसा लिखा है। इसमें उन्हें लगभग चार दिन का समय लगा है। इरशाद ने बताया कि हनुमान चालीसा को पढ़कर पहले समझना चाहिए। उसके भाव को बिना समझे कुछ भी कहना उचित नहीं है।बनारसी कपड़े के चारों तरफ नारंगी रंग की बनारसी साड़ी की कोटिंग है। इसमें कमल का फूल भी बना हुआ है। इरशाद ने बताया कि जब काशी में बाढ़ आई थी तब वो गंगा की माटी को घर ले आये थे। उसे छान कर सुखाया था। गंगाजल और हैंड मेड गोंद को मिलाकर उन्होंने इस हनुमान चालीसा को लिखा है।
हाजी इरशाद अली ने बताया कि उनके पिता भी मिट्टी से कपड़ों पर लिखा करते थे। उसी कला – परंपरा को उन्होंने आगे बढ़ाया है। वर्ष 1992 से यह काम करते आ रहे हैं। उनके घर के आस पास काफी पंडित, विद्वान लोग रहते हैं, जिन्होंने उनकी हिंदी की राइटिंग देखी थी। फिर उन्हें गीता दिया था। उन्होंने कहा कि मेरे मन में विचार आया कि समाज को जोड़ने का कुछ अच्छा कार्य किया जाए। मैंने उन लोगों से बातचीत कर भाव को समझा। साथ ही उन्होंने बताया कि राष्ट्रगान भी कपड़े पर लिखा है। जिसको प्रधानमंत्री को देना चाहते हैं।
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