यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और समझदार कूटनीति का ही परिणाम है कि आज अमेरिका सहित विभिन्न पश्चिमी देश हमारी तारीफ कर रहे हैं। पाकिस्तान तक के राजनेता दबी जबान में स्वीकारते हैं कि भारत अपनी मजबूत विदेश नीति के दम पर दुनिया में फतह कर रहा है। कल अमेरिका में बाइडेन प्रशासन के एक महत्वपूर्ण मंत्री ने खुलकर कहा कि ये सही है कि रूस के यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर दोनों देशों की राय अलग है, लेकिन तो भी भारत-अमेरिका संबंधों पर इससे कोई असर नहीं पड़ा है। हमारे संबंध मजबूती के साथ बढ़ रहे हैं।
अमेरिका ही नहीं अनेक पश्चिमी देशों की इच्छा थी कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस विरोधी मत अपनाए। परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी दबाव में नहीं आए और अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए दोनों देशों के साथ तटस्थ और समझदार चर्चा की। उन्होंने न रूस का पक्ष लिया, न यूक्रेन का बल्कि विश्व में शांति लाने के उपायों को प्राथमिकता दी। अमेरिका ने पहले भी इस संबंध में भारत के पक्ष को समझते हुए कभी ऐसा नहीं दर्शाया कि वह हमसे नाराज है। कल का बयान भी यही कह रहा है कि यूक्रेन के विषय में हमारे मत मेल न खाते हों, तो भी हम दोनों देशों के संबंध और बेहतर हुए हैं।
अमेरिका ही नहीं अनेक पश्चिमी देशों की इच्छा थी कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस विरोधी मत अपनाए। परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी दबाव में नहीं आए और अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए दोनों देशों के साथ तटस्थ और समझदार चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि यह बयान किसी और का नहीं, स्वयं अमेरिका की बाइडेन सरकार में दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के सहायक मंत्री डोनाल्ड लू का है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारत-अमेरिका संबंधों में दरार नहीं डाली है, बल्कि संबंधों को मजबूत ही किया है। उनका कहना है कि इसके कोई संदेह नहीं है कि हमने यूक्रेन में रूस के युद्ध को लेकर कोई साझा नजरिया सामने नहीं रखा है, लेकिन यह भी सच है कि हम इस बात पर एकमत है कि यह युद्ध जल्दी से जल्दी खत्म होना चाहिए। लू ने इस मौके पर यह अपील जरूर की कि भारत रूस से बात करे, उसे युद्ध बंद करके पीछे हटने को कहे।
डोनाल्ड लू ने उल्लेख किया कि रूस के साथ भारत के वर्षों पुराने संबंधों की उनको जानकारी है। उन्हें इस बात की भी जानकारी है कि भारत ने ऐसे मौके पर यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान की है।
बाइडेन सरकार में महत्वपूर्ण दायित्व संभाल रहे डोनाल्ड लू ने एक बार फिर यह उल्लेख किया कि रूस के साथ भारत के वर्षों पुराने संबंधों की उनको जानकारी है। उन्हें इस बात की भी जानकारी है कि भारत ने ऐसे मौके पर यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान की है। भारत का यही कहना रहा है कि बातचीत से युद्ध को खत्म किया जाना चाहिए। चर्चा से समाधान निकाल सकता है। लू साफ कहते हैं कि इस युद्ध के पूर्व से ही भारत तथा अमेरिका में बातचीत का सिलसिला जारी रहा है। इसीलिए दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग भी जारी रहने वाला है।
लू के बयान के संदर्भ में अमेरिका की हाल की गतिविधियों को भी देख लेना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि अमेरिका तथा उसके सहयोगी देश इस युद्ध के लिए यूक्रेन को अरबों डॉलर के आधुनिकतम हथियार दे रहे हैं। अमेरिका उसे हथियार बेचकर मुनाफा कमा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ, भारत से युद्ध रोकने की अपील करने को कह रहा है।
अभी 18 अप्रैल को द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनियां मोटा पैसा बना रही हैं। वहां हिमरास मिसाइल सिस्टम बनाने वाली लॉकहीड कंपनी का कहना है कि इस साल की पहली तिमाही में ही कंपनी ने एक लाख करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी।
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