संदीप जोशी
आज भारतीय इतिहास का अति विशिष्ट दिन है। सौभाग्य से यह मेरे शहर जालौर के साथ जुड़ा हुआ है। स्वधर्म और स्वराष्ट्र के हित में पूजनीय माता पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन का बलिदान दिया। प्रातः स्मरणीय हाड़ी रानी ने अपना स्वयं का बलिदान दिया।
इसी क्रम में एक और विशेष नाम है माता हीरा दे का जिन्होंने स्वधर्म और स्वराष्ट्र के लिए शत्रु पक्ष से मिल गए अपने पति का वध किया। भारतीय परंपरा में पति को परमेश्वर माना गया है। जन्म जन्मांतर का रिश्ता होता है। एक नारी के लिए उसके सुहाग से बढ़कर कुछ नहीं होता किंतु राष्ट्र सर्वोपरि हैं। किंतु पति भी राष्ट्र से बढ़कर नहीं है। देश के साथ गद्दारी करने वाले, बेईमान का वध कर देना चाहिए, भले वह पति ही क्यों न हो। जालोर की वीरांगना हीरादे ने 711 वर्ष पूर्व यह उदाहरण स्थापित किया है।
550 वर्ष से ज्यादा पुराने ग्रंथ कान्हड़ दे प्रबंध में इस घटना का उल्लेख मिलता है। स्थानीय स्तर पर यह गौरव गाथा जन-जन के हृदय में बसी है। अनेक गीत कविताएं और उपन्यास भी लिखे गए हैं किंतु जालौर से बाहर अब तक भी बहुत कम लोग इस गौरवपूर्ण इतिहास को जानते हैं। जालौर हमेशा हाशिए पर रहा है, अतः यह अत्यंत प्रेरक घटनाक्रम भी इतिहास में स्थान नहीं बना पाया। वैशाख अमावस्या का दिन माता हीरा दे के परम पराक्रम का दिन है। इस वर्ष यह दिन 20 अप्रैल, 2023 को है।
भारतीय इतिहास का यह प्रेरक प्रसंग जन जन पहुंचे, यही प्रार्थना है।
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