शोणितपुर (असम)। भारतीय सेना के जवानों को चीनी भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को शोणितपुर जिला मुख्यालय तेजपुर में भारतीय सेना और तेजपुर विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
भारतीय सेना और तेजपुर विश्वविद्यालय के बीच हस्ताक्षरित समझौते पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एचएन सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस बात की जानकारी सेना के प्रवक्ता ले. कर्नल महेंद्र रावत ने दी। इसके तहत भारतीय सेना को 16 सप्ताह का तेजपुर विश्वविद्यालय में चीनी भाषा सिखायी जाएगी। तेजपुर विश्वविद्यालय चीनी सहित विदेशी भाषाओं के शिक्षण में पूर्वोत्तर भारत के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। चीनी भाषा का पाठ्यक्रम करने से सेना के कर्मियों की मंदारिन क्षमताओं में सुधार करेगा और भारतीय सेना के कर्मियों को आवश्यकता पड़ने पर चीनी सैन्य कर्मियों से निपटने के लिए सशक्त करेगा। चीनी भाषा में महारत हासिल करने से सेना के जवान चीन से संबंधित किसी भी चीज को तर्कसंगत रूप से व्यक्त कर सकेंगे।
भारतीय सेना ने सैनिकों को चीनी फोन न उपयोग करने की दी थी सलाह
पिछले दिनों भारतीय सेना ने देशभर में तैनात सैन्य कर्मियों को चाइनीज फोन न इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय के सैन्य खुफिया अधिकारियों ने देशभर में तैनात सैनिकों को चीनी मोबाइल फोन के 11 ब्रांड का उपयोग करने से परहेज करने की सलाह जारी की। मिलिट्री इंटेलिजेंस के महानिदेशक ने एडवाइजरी में फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में सैनिकों को जागरूक करने के निर्देश दिए।
सेना मुख्यालय की ओर से जारी एडवाइजरी में सैनिकों और उनके परिवारों को दुश्मन देश की कंपनियों के मोबाइल फोन खरीदने या इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी गई। इस सूची में चीनी कंपनी वीवो, ओप्पो, ऑनर, श्याओमी, वन प्लस, रियल मी, जेडटीई, मीजू, जियोनी, इनफिनिक्स और आसुस के मोबाइल फोन शामिल हैं। सलाह में यह भी कहा गया है कि जिन जवानों के पास उक्त कंपनियों के मोबाइल फोन हैं, वे 30 मार्च तक अवश्य बदल लें।
सैन्य खुफिया अधिकारियों ने फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में सैनिकों को जागरूक करने के निर्देश दिए। इस संबंध में 30 मार्च तक पूर्णता रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।
अधिकारियों का कहना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सैनिकों को 11 ब्रांडों के चीनी फोन का उपयोग नहीं करने की सलाह सेना का आंतरिक मामला है।
दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध में कई रूसी सैनिक डोनबास क्षेत्र में सेलुलर नेटवर्क का उपयोग कर रहे थे और यूक्रेनियन के पास उनके डेटा तक पहुंच थी। इसी वजह से कई रूसी कमांडर और सैनिक यूक्रेन के सीधे निशाने पर लक्षित थे। तकनीकी रूप से उन्नत इस युग में आसानी से सूचना लीक होने के चलते सैनिकों को प्रभावित किया जा सकता है। इसीलिए सिर्फ चीनी फोन पर प्रतिबंध लगाना सुरक्षा उपाय नहीं हो सकता, क्योंकि चीनी मूल के मैसेजिंग ऐप भी खतरनाक हैं
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