मध्यप्रदेश में लगातार लम्बे समय से अवैध रूप से चल रहे मदरसों और अन्य संस्थानों में कट्टरता का पाठ पढ़ाने एवं मतान्तरण करने की शिकायतें आ रही हैं। इसे लेकर पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर-एससीपीसीआर) भी काफी सक्रिय नजर आ रहा है।
अब तक जिन भी अल्पसंख्यक संस्थानों में इन दोनों बाल आयोगों का जाना हुआ है, वहां तमाम गड़बड़ियां पकड़ में आई हैं। कहीं अल्पसंख्यक संस्थानों में शराब, कॉन्डम मिल रहे हैं तो कहीं मानव भ्रूण, बिना मान्यता, डायवर्जन के स्कूल संचालन, मतांतऱण का सामान और तालिमुल इस्लाम जैसी किताबें, जिसमें कि राज्य में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2021 लागू है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ऐसी सभी संस्थाओं के प्रति सख्ती बरतने का निर्णय कर लिया है।
दरअसल, इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री निवास में वर्चुअली आयोजित लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा बैठक में सख्त नजर आए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि भ्रामक खबरें, संवेदनहीन और कट्टर कमेंट लिखने वालों को पहचानें और जरूरी एक्शन लें। इसके साथ उन्होंने जो बड़ी बात कही वह ये है कि ”राज्य में अवैध रूप से चल रहे उन मदरसों और संस्थानों का रिव्यू किया जाएगा, जहां कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कट्टरता और अतिवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” इसे लेकर फिर सीएम शिवराज का ट्वीट भी आया। इसमें उन्होंने पुन: इसी बात को दोहराया भी है। बता दें कि पाञ्चजन्य ने अवैध मदरसों में कट्टरता के पाठ का मुद्दा सबसे पहले उठाया था।
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