कनाडा का प्रसारण नेटवर्क सीबीसी ट्विटर से ठीक वैसे ही मुंह फुलाए हुए है जैसे अभी हाल में ब्रिटेन के बीबीसी ने फुलाया था। कारण यह है कि अब ट्विटर ने सीबीसी पर ‘सरकारी वित्तपोषित मीडिया’ का लेबल लगा दिया है। सीबीसी ने अपने तरफ से बिलबिलाते हुए ट्विटर को ही ‘अनफालो’ कर दिया है। ट्विटर ने अभी हाल में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन के अकाउंट पर भी यही लेबल लगाकर मीडिया जगत को हैरान कर दिया था।
सीबीसी तो अपने अकाउंट पर ट्विटर के ‘सरकारी वित्तपोषण से चलने वाले मीडिया’ के लेबल को देखकर ऐसा बौखलाया हुआ है कि उसने एलन मस्क के मालिकाना अधिकार वाले इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म को प्रयोग करना ही बंद कर दिया है। कनाडा के इस मीडिया संस्थान का कहना है कि ट्विटर की यह हरकत इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म की विश्वसनीयता को हानि पहुंचाने वाली है। दिलचस्प बात यह है कि ट्विटर ने ‘सरकार के पैसे से चल रहा मीडिया’ वाला लेबल गत सप्ताह अमेरिका के ‘नेशनल पब्लिक रेडियो’ पर पर चिपकाया था। इस अमेरिकी रेडियो ने भी ट्विटर से विदा ले ली।
कनाडा के ‘द कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन’ यानी सीबीसी के प्रवक्ता लियोन मैर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्विटर हमारे पत्रकारों के लिए कनाडावासियों के साथ संवाद करने के एक ताकतवर उपकरण के नाते काम कर सकता है। लेकिन यह कदम उनकी तरफ किए जाने वाले काम की धार और कारोबारी व्यवहार के मोल को घटाता है।
कनाडा के ‘द कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन’ यानी सीबीसी के प्रवक्ता लियोन मैर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्विटर हमारे पत्रकारों के लिए कनाडावासियों के साथ संवाद करने के एक ताकतवर उपकरण के नाते काम कर सकता है। लेकिन यह कदम उनकी तरफ किए जाने वाले काम की धार और कारोबारी व्यवहार के मोल को घटाता है। यह हमारी आजादी को गलत शब्दों में व्याख्यायित करता है। यानी सीबीसी ने साफतौर पर ट्विटर के इस कदम को उसकी विश्वसनीयता को कमतर करने वाला बताया है।
अपने बयान में मैर ने आगे कहा है कि यही वजह है कि हम अपने कारपोरेट ट्विटर खाते और सीबीसी तथा रेडियो-कनाडा समाचार से जुड़े सभी संबंधित अकाउंट्स पर अपनी तरफ से कुछ भी पोस्ट करना छोड़ देंगे।
इतना ही नहीं, सीबीसी की तरफ से ट्विटर को भेजे गए पत्र में सोशल मीडिया कंपनी से अपने इस कदम पर फिर से गौर करने को कहा है। एलन मस्क ने इसे लेकर किए अपने ट्वीट में लेबल में लिखे शब्दों में थोड़ा ‘सुधार’ करके लिखा कि यह ‘सरकार की तरफ से मिल रहे 69 प्रतिशत पैसे पर चलने वाला मीडिया’ है।
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