कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के सिलसिले में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक और विधायक के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है। नदिया जिले के तेहट से विधायक तापस साहा के खिलाफ जांच का आदेश न्यायाधीश राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने दिया है।
तृणमूल विधायक के खिलाफ साल 2020 में नौकरी के नाम पर रुपये की वसूली की शिकायत दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने इस मामले की जांच की है। इसके बाद जांच आगे नहीं बढ़ रही थी। उसी को लेकर सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका लगाई गई थी, जिस पर मंगलवार को न्यायाधीश ने आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि पुलिस से तत्काल सारे दस्तावेज लेकर उन पर भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य मामलों के साथ इसे जोड़ना होगा। कोर्ट ने कहा है कि विधायक से तत्काल पूछताछ करनी होगी।
मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस राजा शेखर मंथा ने सीबीआई जांच के आदेश दिया। उन्होंने आईओ को पंद्रह दिन के भीतर इस केस के सारे दस्तावेज सीबीआई को देने का निर्देश दिया। उन्होंने अपने आदेश में कहा, “जांच तब भी स्थानांतरित की जा सकती है, जब जांच की जा रही व्यक्ति राज्य में कोई प्रभावशाली व्यक्ति हो। इस मामले में पहले ही बहुत देर हो चुकी है, विधायक से तत्काल पूछताछ करनी होगी।
उन्होंने कहा, सिर्फ इतना ही नहीं जांच जरूरी है, बल्कि पारदर्शी जांच की भी जरूरत है, ताकि लोगों का भरोसा राज्य की जांच एजेंसियों पर हो, लेकिन एक ही केस को दो जांच एजेंसियों को देने से जटिलता और बढ़ जाएगी। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कुछ रसूखदार लोगों को सीबीआई पहले ही जेल भेज चुकी है। शेष अभियुक्तों के बयानों से न्यायालय मुख्य अभियुक्त की भूमिका पर संदेह नहीं छोड़ सकता है।”
तृणमूल के इस विधायक का नाम दमकल विभाग समेत राज्य के कई सरकारी विभागों में शामिल रहा है। राज्य पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने मामले की जांच शुरू की है।आरोप है कि इस मामले में तृणमूल विधायक के अलावा तीन अन्य लोगों के नाम शामिल थे। जबकि शेष तीन को गिरफ्तार कर लिया गया था, अदालत ने सवाल किया कि विधायक तापस साहा को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ।
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