आदित्य भारद्वाज की फेसबुक वॉल से
अतीक और अशरफ का मारा जाना कोई सामान्य घटना नहीं हैं. यहां कई सवाल खड़े होते हैं. मीडिया में आई खबरों के अनुसार अतीक ने लश्कर से, पंजाब में हथियारों की तस्करी के अपने संबंध स्वीकार किए हैं. बताया जा रहा है उसने ऐसा पुलिस के सामने नहीं बल्कि मजिस्ट्रेट के सामने दिये गए 164 के बयानों में यह स्वीकार किया है. वह बार-बार अपनी हत्या किए जाने की बात बोल रहा था. जहां तक क्राइम रिपोर्टर के नाते मेरी समझ है #अतीक को अंदेशा था कि ऐसा कुछ हो सकता है. अब जो लोग या राजनीतिज्ञ इस घटना पर सवाल उठा रहे हैं उनका दिमाग कुंद है. अतीक के पास कई ऐसे राज दफन थे जो वह अपने रिमांड के दौरान पुलिस के सामने बता चुका था, चूंकि पुलिस के सामने दिये गए बयान की कोई वेल्यू नहीं होती है, मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान ही स्वीकार्य होते हैं. ऐसे में आगे उसके द्वारा दिये जाने वाले बयानों के बाद कहीं कुछ बड़े औऱ प्रभावी लोगों के नाम सामने न आ जाएं संभवत: इसलिए उसकी हत्या की गई है. क्योंकि रिमांड के बाद फिर से 164 के उसके बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज होते. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है की उसकी हत्या के पीछे कोई न कोई बड़ी साजिश है.
ये बात दीगर है सभी अपने-अपने चश्मे से इस घटना हो देखकर इसकी व्याख्या करेंगे. इस विषय पर राजनीति करेंगे. जिसको उम्रकैद की सज़ा हो चुकी हो उसकी हत्या ये तीन छोटे-छोटे अपराधी केवल इस कारण नहीं कर सकते कि उनको माफिया बनना है, या नाम कमाना है. ये तो सिर्फ मोहरे हैं. जहां तक मेरी समझ है पूछताछ में भी ये तीनों बहुत कुछ बता नहीं पाएंगे, क्योंकि इनका इतना बड़ा स्तर ही नहीं है, इस कांड के पीछे कई बड़े राज दफन हैं जो अतीक औऱ अशरफ की मौत के साथ ही दफन हो गए. अब ये जानना बेहद ज़रूरी है कि देश विरोधी वो कौन सी ताकतें या लोग हैं जो नहीं चाहते थे की अतीक के चलते उनके नाम दुनिया के सामने आएं. कोई न कोई गहरी चाल यहां ज़रूर है.
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