दक्षिण अफ्रीका के देश बुर्किना फासो जिहादी आतंक झेल रहा है। एक लंबे समय से वहां अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने लोगों का जीना मुहाल किया हुआ है। जब चाहे जहां चाहे हमले बोले जाते हैं और नागरिकों के साथ ही पुलिस और सेना के जवानों को मौत के घाट उतारा जाता है। पता चला है कि जिहादियों में अपने ताजा हमले में सेना के 40 जवानों की जान ले ली है। कुछ दिन पहले भी बुर्किना फासो में जिहादियों ने 44 लोगों को मौत के घाट उतारा था।
यह ताजा हमला बुर्किना फासो के उत्तरी हिस्से में हुआ है। 40 जवान तो हमले में मारे ही गए, उनके अलावा अन्य 33 घायल हुए हैं। वहां के एक सरकारी अधिकारी कौइल्गा अल्बर्ट जोंगो ने एक बयान जारी करके बताया है कि मारे गए 40 जवानों में छह तो सैनिक थे और बाकी 34 सेना की सहायता करने वाले वॉलंटियर थे। 15 अप्रैल की रात ये सभी ओआहिगौया शहर के नजदीक मारे गए हैं।
बुर्किना फासो वह देश है जहां पिछले साल ही सेना द्वारा दो बार तख्तापलट किया जा चुका है। लेकिन अब एक बार फिर, सेना ऐसा करने की धमकी दे रही है। देखा जाए तो यह पूरा इलाका 2012 से ही हिंसा में पिस रहा है। पड़ोसी देश माली से शुरू हुआ इस्लामी जिहाद अपने पड़ोसी बुर्किना फासो तथा नाइजर तक पहुंच गया जिससे यह पूरा इलाका ही अस्थिर हो चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हमला जिहादी गुटों अल-कायदा तथा इस्लामिक स्टेट ने किया था। जैसा पहले बताया, बुर्किना फासो लंबे समय से हिंसा-ग्रस्त है, जहां अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस्लामी आतंकी लगातार नरसंहार रचते आ रहे हैं। उनके हमलों में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं, गांव के गांव विस्थापित हुए हैं। करीब 20 लाख लोग दन—दर भटकने को मजबूर हैं। इस महीने के शुरू में इस्लामिक जिहादियों ने देश के उत्तरी हिस्से में एक के बाद एक हमले बोले हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल में यह हमला भी उत्तर हिस्से के कौरकौ और तोंडोबी गांवों में हुआ था। यहां की सरकार आम नागरिकों को सुरक्षाबलों में शामिल होने को कह रही है जिससे मिलकर इस्लामी जिहादियों का मुकाबला किया जाए। बड़ी संख्या में स्थानीय युवा सेना में शामिल भी हुए हैं। पिछले लगभग आठ साल से यह देश जिहाद से जुझ रहा है। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है।
बुर्किना फासो वह देश है जहां पिछले साल ही सेना द्वारा दो बार तख्तापलट किया जा चुका है। लेकिन अब एक बार फिर, सेना ऐसा करने की धमकी दे रही है। देखा जाए तो यह पूरा इलाका 2012 से ही हिंसा में पिस रहा है। पड़ोसी देश माली से शुरू हुआ इस्लामी जिहाद अपने पड़ोसी बुर्किना फासो तथा नाइजर तक पहुंच गया जिससे यह पूरा इलाका ही अस्थिर हो चुका है।
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