तथाकथित सांप्रदायिकता फैलाने की आड़ में हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों का विरोध करना मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का पुराना चरित्र रहा है। जबकि यही माकपा सेकुलरवाद के नाम पर आतंकवादियों तक का पक्ष ही नहीं लेती है, बल्कि किसी आतंकवादी को सजा मिलती है, तो माफी के लिए हर तरह का प्रयास करती है। कड़वी बात तो यह है कि इसी दोमुंहापन के कारण माकपा और अन्य वामपंथी दल राष्ट्रीय राजनीति से बाहर हो रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि वामपंथी नेता इस चीज को समझने के बावजूद अपने दोमुंहापन को छोड़ नहीं रहे हैं। इसकी एक झलक कोलकाता में देखने को मिली। 15 और 16 अप्रैल को कोलकाता में माकपा की दो दिवसीय राज्य समिति की बैठक हुई। इसके समापन सत्र को माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमारी केंद्रीय समिति ने निर्णय लिया है कि हम राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ सभी राज्यों में हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों पर निगरानी रखने के लिए ‘द हिंदुत्व वाच ग्रुप’ बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में कई लोग अपने स्तर से इस तरह के कार्य कर रहे हैं, लेकिन हम लोग भी एकजुट होकर यह कार्य करेंगे। बैठक में उपस्थित नेताओं ने यह भी माना कि बंगाल में संघ विचार परिवार के फैलाव के लिए ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं। मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘‘2011 में जब ममता बजर्नी मुख्यमंत्री बनीं, तब राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लगभग 700 शाखाएं थीं, जो अब बढ़कर 1664 हो गई हैं।’’
माकपा ने हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों की निगरानी करने की जिम्मेदारी कलतान दासगुप्ता, सोमनाथ भट्टाचार्य, सत्यजीत बनर्जी और मधुजासेन राय को दी है। इस पर हिंदू एकता मंच के अध्यक्ष देवतनु भट्टाचार्य ने कहा कि माकपा अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। इसलिए उन्हें तय करने दें कि वे कैसे जीवित रहेंगे।
देवतनु भट्टाचार्य बिल्कुल सही कह रहे हैं। क्योंकि बंगाल के हिंदू माकपा और तृणमूल कांग्रेस से बेहद परेशान हैं। लोग हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर आसभरी नजरों से देख रहे हैं। बांकुड़ा के जयदीप कहते हैं, ‘‘ बंगाल में आएदिन बम विस्फोट होते हैं। हथियारों का जखीरा मिलता है। ये हथियार मजहबी संगठनों से जुड़े लोगों से मिलते हैं, लेकिन माकपा ने कभी उनकी निगरानी करने की बात नहीं की। हिंदुओं पर निगरानी करने की बात कहकर माकपा हिंदुओं का अपमान कर रही है। भगवान माकपा के नेताओं को दोमुंहापन छोड़ने की सद्बुद्धि दे।’’
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