अतीक और अशरफ के हत्यारों द्वारा पुलिस के सामने की किए गये कबूलनामा, “अतीक गैंग को खत्म कर हम अपना नाम बनाना चाहते थे।” लोगों के गले नहीं उतर रहा। घटना के समय की आ रही फुटेज से देखकर यह भी लगता है कि वे घटना को अंजाम देकर भागना भी नहीं चाहते थे। घटनाक्रम की गतिविधियों को देखकर ऐसा भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि अतीक और अशरफ के साथ पर्दे के पीछे से काम करने वाले किसी बड़े आदमी का भी हाथ हो सकता है।
बांदा का रहने वाला लवलेश तिवारी पहले भी डेढ़ साल जेल रह चुका है। हमीरपुर के अरूण मौर्य पर हत्या के मामले में पहले से एफआईआर दर्ज थी। वहीं कासगंज के रहने वाले सनी पर 12 से अधिक मुकदमें दर्ज थे। पूछताछ में उन तीनों ने कहा है कि जब से अतीक और अशरफ को पुलिस कस्टडी में लिया गया था, तभी से हम लोग मारने के फिराक में थे। लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था।
हत्या के एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। ऐसी उम्मीद भी जताई जा रही है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है। अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए और प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे।
हत्या के समय की फुटेज में इन अपराधियों ने अतीक और अशरफ की हत्या के बाद अपने गन को फेंककर हाथ खड़ा कर दिये और सभी मीडिया कर्मियों के सामने ही सरेंडर के मूड में आ गये। एक अपराधी को गिराकर तीन-चार पुलिस कर्मियों द्वारा उसे दबोचने की तस्वीर सामने आ रही है। इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद यह लगता है कि इसके पीछे किसी बड़े आदमी का हाथ था। पुलिस इस एंगल को लेकर भी जांच कर रही है।
वहीं, एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ लोगों को यह भय सता रहा था कि वह उनके काली कमाई और काले कारनामों का भंडाफोड़ कर सकता है, क्योंकि अशरफ तो अभी ठीक स्थिति में था, लेकिन अतीक बिल्कुल टूट चुका था। वह अब क्राइम की दुनिया को अलविदा करने की रणनीति पर चल रहा था। एक कारण यह भी हो सकता है कि उसके साथ जरायम की दुनिया में या ब्लैक मनी का काम करने वाले इस हत्या में शामिल हो सकते हैं।
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