पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आतंकियों से संबंध रखने वाले ठेकेदारों को काली सूची में डालने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के फैसले को ‘मनमाना’ बताया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को एक पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछली सरकारों ने ऐसे लोगों के लिए एक पुनर्वास नीति बनाई थी, जिसका उद्देश्य उन्हें सम्मान के साथ समाज की मुख्य धारा से जोड़ना था। महबूबा ने पत्र में लिखा कि ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला आतंकियों के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधों की गलत धारणा पर मनमाने तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूची पर एक सरसरी नज़र डालने से पता चलता है कि अधिकांश ठेकेदार शुरुआत में आतंकी नहीं थे।
उन्होंने कहा कि पचास लोग बहुत पहले आतंकवाद से दूर हो गए थे, जबकि अयोग्य ठहराए गए लोगों में से अधिकांश उनके रक्त सम्बन्धी हैं, लेकिन किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधि में शामिल नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान उनके पिता और पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री के रूप में आतंकवाद पीड़ितों को वित्तीय सहायता देने के लिए एक पैकेज की वकालत की थी और उसे लागू किया था।
महबूबा ने कहा कि दशकों तक गरिमापूर्ण जीवन के लिए मेहनत करने के बाद आज ये लोग मूक दर्शक बनकर रह गए हैं, क्योंकि इनकी जिंदगी को उजाड़ दिया जा रहा है। उन्होंने उप राज्यपाल से मानवीय आधार पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
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