भारत और फ्रांस की वायु सेनाओं के बीच ओरियन एक्सरसाइज 17 अप्रैल से मॉन्ट-डे-मार्सन में शुरू होगी। इसमें भाग लेने के लिए भारतीय वायु सेना के 165 वायु योद्धा शुक्रवार को फ्रांस के लिए रवाना होंगे। इस अभ्यास में भारत की ओर से चार राफेल, दो सी-17, दो आईएल-78 विमान शामिल होंगे। यह पहली बार होगा जब भारतीय राफेल लड़ाकू विमान देश के बाहर बहुराष्ट्रीय वॉरगेम में भाग लेंगे, जिसमें कई नाटो देश और अन्य महत्वपूर्ण सहयोगी शामिल हैं।
फ्रांसीसी वायु और अंतरिक्ष बल (एफएएसएफ) के वायु सेना एयर बेस मॉन्ट-डे-मार्सन में हवाई युद्ध अभ्यास ‘ओरियन’ में भाग लेने के लिए भारतीय वायु सेना की टुकड़ी शुक्रवार को फ्रांस के लिए रवाना होगी। यह अभ्यास 17 अप्रैल से 05 मई तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें भारत के चार राफेल, दो सी-17 परिवहन विमान, दो आईएल-78 टैंकर और 165 वायु योद्धा शामिल होंगे। भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों के लिए यह विदेशी धरती पर पहला बहुराष्ट्रीय अभ्यास होगा। हालांकि, राफेल विदेशी मेहमानों के साथ भारत में हुए कई बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में हिस्सा ले चुका है।
इस बहुपक्षीय अभ्यास में भारत और फ़्रांस के अलावा, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेनाएं भी उड़ान भरेंगी। इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना भाग लेकर अन्य देशों की वायुसेनाओं से सर्वोत्तम अभ्यासों को आत्मसात करके खुद को समृद्ध करेगी। यह अभ्यास फ्रांस में रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जहां अमेरिका के नेतृत्व में नाटो यूक्रेन के खिलाफ रूसी कदमों का विरोध कर रहा है। फ्रांसीसी वायु सेना अपने नाटो और अन्य सहयोगियों के साथ अपने राफेल और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के साथ युद्धाभ्यास में भाग लेगी।
ओरियन अभ्यास फ्रांसीसी रक्षा बलों का अब तक का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय अभ्यास है, जिसमें उनकी सेना, नौसेना और वायु सेना के साथ उनके सहयोगी अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं। फ्रांस में निर्मित राफेल भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए नवीनतम लड़ाकू विमान हैं और पूरे एशियाई क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं। भारतीय वायु सेना में 36 राफेल पूरी तरह से शामिल किए गए हैं। पाकिस्तान और चीन सीमा पर इनकी तैनाती ने देश की परिचालन तैयारियों में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
टिप्पणियाँ