कोटद्वार : उत्तराखंड वन विभाग इस समय अपनी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर बदनामी का दंश झेल रहा है। सबसे ज्यादा फॉरेस्ट महकमे को मजार जिहाद को लेकर हो रही किरकिरी का सामना करना पड़ रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में वन भूमि पर अवैध रूप से बनी मजारों को ध्वस्त करने की बात कह कर देश में एक बहस छेड़ दी है। उनके निर्देश पर सौ से ज्यादा मजारें तीन चरणों में ध्वस्त भी की गई हैं, ये अभियान देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में चलाया गया है, और इस अभियान में तेज तर्रार आईएफएस अधिकारी लगे हैं।
वन विभाग की सरकारी जमीन पर अवैध मजारों को लेकर कुछ फॉरेस्ट डिवीजन बिल्कुल ही नाकारा साबित हो रहे हैं। शासन स्तर पर इन डिवीजन से जो आंकड़े अवैध मजारों के भेजे गए हैं, वो भी गलत बताए जा रहे हैं। इसका पता तब चला जब पुलिस की टीम ने भी इन अवैध मजारों की सूचनाएं एकत्र की थी। इन सूचनाओं में पुलिस और वन विभाग में खासा बड़ा अंतर देखा गया है। विशेषकर नैनीताल, उधमसिंह नगर के फॉरेस्ट एरिया में ये अंतर देखा गया है। कॉर्बेट और राजा जी टाइगर रिजर्व में भी जितनी मजारें हैं, उसमे भी भारी अंतर है।
अवैध मजारों पर क्या बोले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक ?
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडेय कहते हैं, मजारें हैं और उन्हें नियमानुसार हटाया जाएगा, इसी तरह का बयान लैंसडाउन के डीएफओ दिनकर त्रिपाठी भी देते हैं कि अवैध मजारें हैं और अतिक्रमण की श्रेणी में हैं और नोटिस देकर नियमानुसर हटाई जाएंगी। इन फॉरेस्ट अधिकारियों से जब ये पूछा गया कि जब ये अवैध रूप से बन रही थी, तब नियम क्या थे ? जिनके कार्यकाल में ये अवैध मजारें अतिक्रमण की श्रेणी में आईं तब किसके अधिकारी के संरक्षण में इनका निर्माण हुआ, और उनके खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई की गई ? तो इस पर ये अधिकारी खामोशी की चादर ओढ़ लेते है ।
अवैध मजारों के मुद्दे पर जिम्मेदारों ने क्यों साधी चुप्पी ?
उल्लेखनीय है कि कॉर्बेट और राजा जी पार्क में एक गेस्ट हाउस की मरम्मत करने को लेकर एनटीसीए और एनजीटी ने बवाल कर दिया, और कई अधिकारी अभी भी जेल में हैं, और अवैध मजार मुद्दे पर इनकी चुप्पी क्यों रहती है ? लैंस डाउन में डीएफओ ऑफिस से कुछ ही दूरी पर सड़क के पास जंगल में मजार बनती रही और विभाग सोता रहा है, और अब उसे नियम याद आ गए हैं।
महिला आईएफएस के कार्यकाल में बनी अवैध मजारें
एक खबर ये भी है कि एक महिला आईएफएस जहां-जहां भी रही उनके कार्यकाल में ये अवैध मजारें बनती चली गई, जिन्हें रोकने की जुर्रत रेंज अफसरों ने भी नहीं की थी। वन विभाग में आईएफएस लॉबी पिछले कुछ सालों से आपसी गुटबाजी का शिकार है, सबसे उच्च पद पीसीसीएफ को लेकर राजनीति होती रही है, ये मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा हुआ है पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और वर्तमान वन मंत्री सुबोध उनियाल कांग्रेस पृष्ठभूमि से आए हैं, लिहाजा उनकी गंभीरता को भी अतिक्रमण के मामले में समझा जा सकता है।
नदियों के किनारे वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा
नदियों के किनारे हजारों लोग फॉरेस्ट की जमीन पर अवैध कब्जा कर बैठ गए हैं, यहां मस्जिदें, मजारे, मदरसे बनते चले गए, जिसकी वजह से उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन की समस्या ने सिर उठा लिया है। उत्तराखंड के 65 फीसदी क्षेत्र में जंगल है, जहां अवैध कब्जे रिजर्व फॉरेस्ट एरिया तक में हो रहे हैं, और विभाग कई सालों से सोया हुआ है।
वन विभाग ने कुछ मजारों का जिक्र नहीं किया
वन विभाग द्वारा तैयार की गई सूची में देहरादून क्षेत्र में हिमाचल बॉर्डर पर बाबा भूरे शाह, सहारनपुर रोड में राजा जी पार्क के रोटी चौकी जंगल क्षेत्र में बनी मजार, मंगलौर में सैय्यद शाह की गुम्बद मजार, लैंस डाउन फॉरेस्ट की मजार आदि का जिक्र नहीं किया गया है, इनकी तस्वीरें इस लेख में प्रकाशित की जा रही है।
बहरहाल, वन विभाग उत्तराखंड की कार्य गुजारियों की वजह से मजार जिहाद, लैंड जिहाद, अवैध खनन जैसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसपर धामी सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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