एलन मस्क के मालिकाना अधिकार वाला सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर अब आएदिन कुछ न कुछ विवादित मुद्दा उछालने के लिए जाना जाने लगा है। इसकी ताजा कार्रवाई से ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन यानी बीबीसी तिलमिलाया हुआ है। ट्विटर ने बीबीसी के हैंडल पर सरकारी पैसे से चल रहा मीडिया का लेबल लगा दिया है।
ट्विटर का बीबीसी को सरकारी पैसे से चल रहा मीडिया संस्थान लिखना उसे ऐसा चुभा है कि इसने जबरदस्त नाराजगी ही नहीं जाहिर की है बल्कि इस ‘लेबल’ को जल्द से जल्द हटाने को कहा है। जवाब में एलन मस्क खुद बीबीसी की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
बात जिस लेबल यानी ‘सरकार के पैसे से चल रहा मीडिया’ से गर्म हुई है, वह एलन मस्क की पिछली कार्रवाइयों को देखते हुए बहुत से लोगों को कोई अटपटी नहीं लगी है। वैसे बता दें कि ट्विटर ने बीबीसी के हैंडल को सुनहरा टिक दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर की इस ताजा कार्रवाई से बीबीसी की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठे हैं जो स्वाभाविक ही था। लोग अब चर्चा कर रहे हैं कि क्या सच में बीबीसी सरकार के पैसे से चल रहा है?
समाचार एजेंसी सीएनएन के अनुसार, मीडिया कंपनी बीबीसी इस संबंध में ट्विटर से बात कर रही है। इसमें सुनहरे टिक को लेकर भी विषय उठ सकता है। बीबीसी का कहना है कि यह ‘लेबल’ बहुत जल्दी हट जाएगा। बीबीसी ने बयान जारी करके कहा है कि वह कंपनी स्वतंत्र है और हमेशा से स्वतंत्र ही रही है।
बेशक, ट्विटर की इस कार्रवाई से बौखलाए बीबीसी, जिसे ब्रिटेन का राष्ट्रीय मीडिया बताया जाता है, ने फौरन इस के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए ट्विटर को ‘गलती’ सुधारने को कहा है। इधर समाचार एजेंसी सीएनएन के अनुसार, मीडिया कंपनी बीबीसी इस संबंध में ट्विटर से बात कर रही है। इसमें सुनहरे टिक को लेकर भी विषय उठ सकता है। बीबीसी का कहना है कि यह ‘लेबल’ बहुत जल्दी हट जाएगा। बीबीसी ने बयान जारी करके कहा है कि वह कंपनी स्वतंत्र है और हमेशा से स्वतंत्र ही रही है।
ट्विटर के मालिक एलन मस्क भी कहां चुप बैठने वाले थे। उन्होंने भी बीबीसी को लेकर कटाक्ष किया है। मस्क ने कहा है, ‘हमें संपादकीय असर को लेकर और ज्यादा काम करने की जरूरत है। कारण, यह बहुत अलग चीज है। मैं यह बिल्कुल नहीं मानता कि बीबीसी सरकार के पैसे से चलने वाले किसी दूसरे मीडिया जैसे पक्षपात करने वाली है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। लेकिन बीबीसी का ऐसा दावा फिजूल ही है।” मस्क के अनुसार, अगर इसे ‘थोड़े—बहुत सरकारी प्रभाव में काम करने वाली’ कंपनी कहा जाए तो यह ज्यादा सही रहेगा।
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