पिछले लंबे वक्त से आस्ट्रेलिया में मंदिरों, हिन्दुओं और भारत के प्रतिष्ठानों पर खालिस्तानियों की हिंसक हरकतों की पड़ताल से पता चला है कि इस कृत्य में ट्विटर पर हजारों फर्जी एकाउंट्स जुटे हैं। फर्जी नामों के इन पाकिस्तानी खातों का एक बड़ा नेटवर्क हिंदू मंदिरों पर हमले के लिए भड़काता है, आतंक के लिए आंदोलन चलवाता है और भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हमले कराता है। इस नेटवर्क का पूरा ढर्रा पाकिस्तानी भारत विरोधी रणनीति के साथ एकदम सही तरह से खाता है।
इस संबंध में द आस्ट्रेलिया टुडे में प्रकाशित समाचार के अनुसार, ‘नेटवर्क कॉन्टैजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (एनसीआरआई) द्वारा हाल में सामने रखे गए एक शोध से पता चला है कि खालिस्तानी उग्रपंथी ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों और भारत सरकार के प्रतिष्ठानों के विरुद्ध बर्बरता और हिंसा के कृत्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘बॉट्स’ अथवा फर्जी ट्विटर खातों की एक पूरी फौज को काम में लगाए हुए हैं।
दरअसल एनसीआरआई वह संस्थान है कि जो विश्वभर में शत्रुतापूर्ण सोच से जुड़ी सामग्री के प्रसार के संबंध में ‘स्वतंत्र, डेटा-चालित और साक्ष्य-आधारित श्रृंखला’ पर शोध करके रिपोर्ट तैयार करता है। पता चला है कि खालिस्तानी ऑस्ट्रेलियाई गुप्तचर तंत्र से बचने के लिए छुपी रणनीति अमल में ला रहे हैं।
ब्रिस्बेन स्थित एक्टिविस्ट और शिक्षाविद सारा एल. गेट्स ने भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों पर वैचारिक हमला करने वाले फर्जी खालिस्तानी ट्विटर खातों से जुड़े इस मुद्दे की ओर इशारा किया है। गेट्स कहती हैं कि वे तीन महीने से खालिस्तान के फर्जी खातों पर नजर रखती आ रही हैं।
जनवरी 2023 से, एनसीआरआई ने ऐसे 359 सक्रिय खातों का पता लगाया है जो 20 से 50 खातों के नेटवर्क में काम करते थे। इन ट्विटर खातों का इस्तेमाल उग्र संदेशों या वीडियो के व्यापक प्रसार के लिए किया जाता था, जिसमें अक्सर भारत में प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के संस्थापक गुरपतवंत पन्नू को दिखाया जाता था।
ब्रिस्बेन स्थित एक्टिविस्ट और शिक्षाविद सारा एल. गेट्स ने भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों पर वैचारिक हमला करने वाले फर्जी खालिस्तानी ट्विटर खातों से जुड़े इस मुद्दे की ओर इशारा किया है। गेट्स कहती हैं कि वे तीन महीने से खालिस्तान के फर्जी खातों पर नजर रखती आ रही हैं।
‘हिंदू मानवाधिकार आस्ट्रेलिया’ ने तीन महीने तक खालिस्तानी ट्रोल और फर्जी खातों पर नजर रखने के बाद अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। सिख्स फॉर जस्टिस ने हिन्दू विराधी हिंसा और घृणा के कृत्यों के लिए सिखों को उकसाने हेतु फर्जी ट्विटर खाते जुटाए, उग्र सोच के सिखों को मंदिरों पर हमलों के लिए भड़काया। यहां तक कि ‘द ऑस्ट्रेलिया टुडे’ की टीम को भी निशाना बनाते हुए नफरत भरे वीडियो फैलाने के लिए फर्जी ट्विटर खातों का भरपूर इस्तेमाल किया गया था।
लोगों की नजरों में आने के लिए विभिन्न पत्रकारों और अन्य सार्वजनिक हस्तियों को टैग करते हुए, प्रत्येक खाता एक ही हिंसक संदेश को दर्जनों बार ट्वीट करता देखा गया। उग्रपंथी एसएफजे के इशारे पर चलाए गए खालिस्तानी चरमपंथियों के ट्वीट एनसीआरआई के शोधकर्ताओं द्वारा पकड़े गए हैं। ये ट्वीट भड़काने वाले थे कि ‘भारत के भीतर सामरिक लक्ष्यों के साथ-साथ विदेशों में भारतीय वाणिज्य दूतावासों और ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों के विरुद्ध सीधी कार्रवाई करें’।
खालिस्तानी हिंसा को बढ़ावा देने वाले ट्वीट पोस्ट करते हैं और उसे जल्दी ही डिलीट कर देते हैं। वे बम को सिर्फ एक ‘डिवाइस’ कहकर पकड़े जाने से बचते हैं। एनसीआरआई में मुख्य परिचालन अधिकारी और न्यूयॉर्क पुलिस साइबर इंटेलिजेंस के पूर्व प्रमुख जैक डोनोह्यू ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि ‘इन फर्जी खातों की भड़काने वाले संदेशों को जिस तेजी से फैलाया जाता है और जैसी नफरती बातें लिखी जाती हैं, वे चिंता पैदा करती हैं।
इसके साथ ही, एनसीआरआई ने सीधे पाकिस्तान की सरकार पर उंगली उठाई है, जहां से खालिस्तानियों को खास शह मिल रही है। संस्थान ने 20 प्रतिशत से अधिक खातों की पहचान ट्विटर नेटवर्क के हिस्से के रूप में की, जो पाकिस्तान से संचालित होने का दावा करते हैं।
देखने में यह भी आया है कि हिंसा को बढ़ावा देने वाले ऐसे फर्जी खातों को हटाने के अपने प्रयासों के बावजूद, ट्विटर खालिस्तानी चरमपंथियों की हिंसक सामग्री के फैलाव और इनके विरुद्ध कार्रवाई में असफल रहा है। फिर भी ट्विटर ने कई खालिस्तानी खातों के खिलाफ कार्रवाई की है, कुछ को निलंबित कर दिया है और कई को प्रतिबंधित भी कर दिया है। लेकिन एनसीआरआई ने पाया है कि इन खातों के पीछे मौजूद खालिस्तानी चरमपंथी और पाकिस्तानी समर्थक नामों में थोड़ा हेरफेर करके वापस सक्रिया हो जाते हैं।
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