‘पाञ्चजन्य’ के पूर्व संपादक और विचारक स्व. देवेंद्र स्वरूप की स्मृति
गत दिनों नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कला विभाग ने ‘बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में भारत’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया।
‘पाञ्चजन्य’ के पूर्व संपादक और विचारक स्व. देवेंद्र स्वरूप की स्मृति में आयोजित इस पांचवें व्याख्यान समारोह के मुख्य अतिथि थे पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी। उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक संसाधनों के अधिकाधिक दोहन को ही विकास का पैमाना मान लिया गया है।
यह न तो पर्यावरण के लिए ठीक है और न ही मानव जाति के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के कई देश आर्थिक विकास की बात करते हैं और यह विकास सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के पैमाने पर आंका जाता है।
यह जी.डी.पी. अमेरिकी सोच है, जिसे हर देश ने अपनाया है। इससे संपत्ति की वृद्धि का आंकलन किया जाता है, लेकिन पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। गोष्ठी की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने की। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
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