उत्तराखंड में मजार जिहादियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि इन्होंने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मजारें बना डालीं। अब सवाल ये उठ रहा है कि कॉर्बेट में पर्यटक टाइगर देखने आएंगे या मजार पर जियारत करने? इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल चुप्पी साधे क्यों बैठा है।
उल्लेखनीय है कि इन दोनों संस्थाओं पर बाघों के घरों यानी टाइगर रिजर्व की देखरेख करने की जिम्मेदारी है। पिछले कुछ सालों में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कुछ आईएफएस और अन्य अधिकारियों द्वारा बिना एनटीसीए की अनुमति के निर्माण कार्य करवा दिए, जिसके बाद जांच बैठी और कई अधिकारियों को इसकी सजा मिली। इसके दूसरे पहलू की तरफ देखा जाए तो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मजारे कैसे बनती गईं। जब टाइगर रिजर्व में किसी आदमी के अंदर पैदल चलने की अनुमति नहीं है। किसी के वहां स्थाई रूप से रहने की अनुमति नहीं है तो फिर ये मजारें किसके लिए बनाई गईं?
कॉर्बेट के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ मजारें पुरानी हैं, जब यहां वन गुज्जर रहते थे। गुज्जर चले गए तो मजारों पर चादर चढ़ाने कौन जाता है? ढेला रेंज के रास्ते में एक बोर्ड लगा है कि पैदल चलना मना है और पीछे मजार बनती जा रही हैं। मजार में ईंटे कौन छोड़कर जा रहा है? बिजरानी गेस्ट हाउस के पास मजार पर कॉर्बेट पार्क प्रशासन ने बिजली लगाई हुई है। ढिकाला विश्राम गृह से आगे भी एक मजार है और कालागढ़ फॉरेस्ट रेंज में भी मजार है। ढेला झिरना प्रभाग में भी मजार है।
कॉर्बेट पार्क ढिकुली रोड पर भी मजार है, जो सीटीआर का सीमा क्षेत्र है। रामनगर शहर से लगी कॉर्बेट की सीमा में एक साथ सात मजारें बना दी गई हैं। इस पर वन अधिकारियों की खामोशी रहस्यमय लगती है। कॉर्बेट पार्क से लगे रामनगर फॉरेस्ट डिवीजन में भी कई मजारें अवैध रूप से कब्जा करके बना दी गई हैं। सवाल ये उठता है कि कॉर्बेट पार्क में लाखों देशी-विदेशी पर्यटक टाइगर और अन्य जीव जंतुओं के दीदार करने आते हैं तो क्या ये अब अवैध मजारों के दर्शन करने आएंगे?
क्या कहते हैं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर
सीटीआर के डायरेक्टर धीरज पांडेय का कहना है कि कुछ मजारें पुरानी हैं, हम नई पुरानी मजारों का सर्वे करवा रहे हैं, इन्हें नियमानुसार हटाया जाएगा। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में किसके कार्यकाल में ये मजारें बनीं, इसकी भी जांच करेंगे। हम इसके लिए सैटेलाइट पिक्चर की भी मदद लेंगे।
क्या कहते हैं सीएम धामी
इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि किसी भी सूरत में मजार जिहाद, जमीन जिहाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देवभूमि उत्तराखंड का स्वरूप की हमें चिंता है और अवैध निर्माण, अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दे दिए गए हैं।
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