तालिबान ने रमजान के दिनों में अपनी महिला विरोधी तुगलकी सोच बरकरार रखी है। वहां कार्यरत एक महिला रेडियो स्टेशन को इसलिए बंद करा दिया गया है क्योंकि उसने ‘रमजान के दिनों में रेडियो पर संगीत के तराने छेड़ने की’ जुर्रत की थी। इसका मायना यह निकाला गया कि उस रेडियो स्टेशन ने ‘इस्लामिक अमीरात’ के कानूनों को तोड़ा है यानी अब उसे चलते रहने देना का कोई मतलब नहीं बचा है।
यही सफाई देते हुए तालिबान हुकूमत में कल्चरल डायरेक्टर मोईजुद्दीन अहमदी ने रेडियो स्टेशन पर शरियाई गाज गिरा दी। फरमान जारी करते हुए अहमदी ने कहा कि वह ‘रेडियो स्टेशन बार-बार इस्लामिक अमीरात के कायदों को तोड़ रहा था। रमजान के माह में गाना—बजाना बजाकर इस रेडियो स्टेशन ने कायदे की धज्जियां उड़ाई हैं।
अहमदी का कहना है कि अगर रेडियो स्टेशन आने वाले वक्त के लिए ‘इस्लामिक अमीरात’ के कानूनों का पालन करने की गारंटी देगा तभी इसे फिर से चालू करने की इजाजत देने के बारे में सोचा जाएगा। इस बात पर महिला रेडियो स्टेशन सदाई बनोवन की प्रबंधक रहीं नाजिया सोरोश का कहना है कि उन्होंने कोई कानून नहीं तोड़ा है। नाजिया का कहना है कि उनके रेडियो स्टेशन को एक षड्यंत्र के तहत बंद किया है। वे नहीं मानतीं कि उन्होंने रमजान के महीने में संगीत बजाया है।
वैसे देखा जाए तो महिलाओं का, महिलाओं द्वारा पिछले दस साल से संचालित होता आया रेडियो स्टेशन ‘सदाई बनोवन’ बहुत दिनों से यूं भी महिला विरोधी तालिबान लड़ाकों की आंखों में खटक ही रहा होगा, रमजान ने तो इस निर्दयता का एक बहाना भर दिया है। कारण समझने में कोई खास दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जरा समझने की बात है, ‘सदाई बनोवन’ अफगानी शब्द है जिसका अर्थ है ‘महिलाओं की आवाज’। और अफगानिस्तान में पिछले अगस्त माह से सत्ता कब्जाए बैठे तालिबान का कुल काम महिलाओं की आवाज को शरियाई कोड़े तले दबाना ही रहा है। बस, बंद करा दिया रेडियो स्टेशन।
तालिबान ने देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र से संचालित जिस रेडियो स्टेशन ‘सदाई बनोवन’ को बंद कराया है उसे अफगानिस्तान का एकमात्र महिला रेडियो स्टेशन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उसमें कुल जमा आठ लोग काम करते हैं जिसमें से छह महिलाएं हैं। तालिबान के लड़ाकों को इस रेडियो स्टेशन पर संगीत बजने से ‘इस्लाम खतरे में’ आता दिखा लिहाजा शरिया का कोड़ा चल पड़ा।
तालिबान हुकूमत में ‘कल्चर’ के रखवाले अधिकारी अहमदी का कहना है कि अगर रेडियो स्टेशन आने वाले वक्त के लिए ‘इस्लामिक अमीरात’ के कानूनों का पालन करने की गारंटी देगा तभी इसे फिर से चालू करने की इजाजत देने के बारे में सोचा जाएगा। इस बात पर महिला रेडियो स्टेशन सदाई बनोवन की प्रबंधक रहीं नाजिया सोरोश का कहना है कि उन्होंने कोई कानून नहीं तोड़ा है। नाजिया का कहना है कि उनके रेडियो स्टेशन को एक षड्यंत्र के तहत बंद किया है। वे नहीं मानतीं कि उन्होंने रमजान के महीने में संगीत बजाया है।
उल्लेखनीय है कि महिलाओं के विरुद्ध बंदूक ताने रहने वाले तालिबान चाहे जो भी कहें, लोग इस रेडियो स्टेशन के बंद होने की वजह इसका महिलाओं द्वारा संचालित होना ही मानते हैं। अफगानिस्तान के ज्यादातर लोग मानते हैं कि अपने दुष्कर्मों को ‘उचित’ ठहराने के लिए तालिबान सिर्फ ‘रमजान की आड़’ ले रहे हैं।
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