भारत के अंदमान निकोबार द्वीप समूह के पास म्यांमार विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन की कथित शह पर एक ‘सैन्य छावनी’ बना रहा है! अंदमान से सिर्फ 55 किलोमीटर की समुद्री दूरी पर स्थित कोको टापू पर ‘छावनी’ का काफी ढांचा खड़ा हो चुका है। अगर यह हरकत सच में चीन की शह पर हो रही है तो बेशक यह भारत के लिए खतरे की घंटी समझी जानी चाहिए।
मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, म्यांमार ने कोको टापू पर 2900 मीटर लंबी हवाईपट्टी बना ली है। 10 साल पहले यह हवाईपट्टी सिर्फ 1300 मीटर लंबी ही थी। ‘छावनी’ का ढांचा उस चीन की शह पर बनाया जा रहा है जिसने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत से बेवजह का सीमा विवाद खड़ा किया हुआ है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह हरकत चीन की भारत विरोधी ‘स्ट्रिंग आफ पर्ल्स’ रणनीति का हिस्सा ही है, जिसका उद्देश्य भारत को चारों तरफ से घेरना है। लद्दाख और अरुणाचल पर चीन जमीनी सीमा पर विवाद पैदा किए हुए है तो अंदमान की तरफ से संभवत: वह समुद्री सीमा पर विवाद खड़ा करने के साथ ही अपने लड़ाकू पोत तैनात करने का इच्छुक है।
चालाक चीन भारत के पड़ोसी देशों के साथ भी अपनी ‘घनिष्ठता’ बढ़ाता आ रहा है। पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, ईरान, ईराक आदि देशों की नीतियों और गतिविधियों पर कहीं न कहीं उसकी छाप दिखाई देती है। शायद चीन अपनी इसी कुटिल चाल के तहत म्यांमार की सत्ता को अपने पैसे के प्रभाव में लेकर कोको टापू पर सैनिक छावनी बनाने जा रहा हो, जहां उसकी सैन्य टुकड़ी तैनात रहे।
भारत के अंदमान और निकोबार द्वीप समूह पर भारतीय नौसेना का बड़ा ठिकाना है। रणनीतिक रूप से संवेदनशील इस द्वीप समूह पर आबादी भी कोई बहुत ज्यादा नहीं है और उससे छोटे छोटे अनेक टापू जुड़े हैं। यहां से कोको टापू महज 55 किलोमीटर दूर है। यह म्यांमार के अधीन बताया जाता है। इसी टापू पर सैन्य छावनी बनाना कोई ऐसी बात नहीं है जिसे सरसरी तौर पर अनदेखा किया जा सकता है। चीन द्वारा म्यांमार के इस टापू के रास्ते अंदमान और निकोबार द्वीप समूह को शिकंजे में करने की कोशिश पहले भी देखने में आई हैं। कोको टापू पर मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी होने की भी अपुष्ट खबरें हैं। ये सब भारत विरोधी सोच रखने वाले माने जाते हैं। कोको टापू पर उक्त ‘सैनिक छावनी’ के बनने की पुष्टि करने वाले उपग्रह चित्र भी उजागर करते हैं।
भारत के अंदमान और निकोबार द्वीप समूह पर भारतीय नौसेना का बड़ा ठिकाना है। रणनीतिक रूप से संवेदनशील इस द्वीप समूह पर आबादी भी कोई बहुत ज्यादा नहीं है और उससे छोटे छोटे अनेक टापू जुड़े हैं। यहां से कोको टापू महज 55 किलोमीटर दूर है। यह म्यांमार के अधीन बताया जाता है। इसी टापू पर सैन्य छावनी बनाना कोई ऐसी बात नहीं है जिसे सरसरी तौर पर अनदेखा किया जा सकता है।
ये उपग्रह चित्र मैक्सर टेक्नोलॉजीस द्वारा जारी किए गए हैं। चित्रों में दिख रहे ढांचे और दूसरे निर्माण कार्य स्पष्ट तौर पर कथित चीनी चाल का खुलासा करते हैं। इन चित्रों से ही पता चला है कि 2300 मीटर लंबी हवाईपट्टी बन गई है। माना तो यह जा रहा है कि फिलहाल सैन्य शासन तले पिस रहा म्यांमार समुद्र में अपनी निगरानी गश्त के यह तैयारी कर रहा है। यहां लगभग 200 इमारतें जैसी भी बनती दिखाई दी हैं। कहा जा रहा है कि इनमें म्यांमार के सैनिक रहेंगे।
चीन की म्यांमार के साथ बढ़ती निकटता के क्या मायने हैं, संभवत: ये चित्र उसकी तरफ इशारा कर रहे हैं। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से यह सब एक खतरे की तरह है। म्यांमार में सैन्य सत्ता के विरुद्ध पिछले लगभग एक साल से लोकतंत्र समर्थक ताकतें विद्रोह का बिगुल फूंके हुए हैं। इनका मुकाबला करने में चीन की तरफ से जो मदद मिल रही है वह यूं ही नहीं मिल रही है। चीन उसका मोल वयूले बिना नहीं रहेगा, यह सब जानते हैं। पैसे की भारी कमी झेल रहे म्यांमार को चीन से कथित तौर पर मोटा पैसा भी मिल रहा है।
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